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Khan Sir Raksha Bandhan: पटना में हजारों छात्राओं संग खान सर ने मनाया रक्षा बंधन, बना रिकॉर्ड

द लोकतंत्र: पटना के मशहूर शिक्षक खान सर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है रक्षा बंधन का त्योहार, जिसे उन्होंने अपनी हजारों छात्राओं के साथ मिलकर बड़े ही अनोखे और यादगार तरीके से मनाया।

राखियों से भरा हाथ
रक्षा बंधन के अवसर पर पटना के एसके मेमोरियल हॉल में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से आई छात्राओं ने खान सर को राखी बांधी। देखते ही देखते उनका पूरा हाथ राखियों से ढक गया। खुद खान सर ने मजाकिया अंदाज में बताया कि इतनी राखी बंध गईं कि ब्लड सर्कुलेशन तक कम हो गया।

देशभर से आई छात्राएं
खान सर ने बताया कि उनकी कोचिंग में पढ़ने वाली लड़कियां हर राज्य से आती हैं और सभी के साथ उनका रिश्ता भाई-बहन जैसा है। उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। यह त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई का प्रतीक है।”

156 तरह के व्यंजन बने
कार्यक्रम को खास बनाने के लिए खान सर की ओर से छात्राओं के लिए 156 तरह के व्यंजनों की व्यवस्था की गई। इस मौके पर मिठाई, नाश्ते और पारंपरिक पकवानों का लुत्फ सभी ने उठाया। खान सर ने बताया कि यह उनके लिए गर्व का क्षण है कि उन्हें इतने स्नेह और सम्मान से बांधा जाता है।

हर साल होती है खास तैयारी
यह पहला मौका नहीं है जब खान सर ने रक्षा बंधन इतनी धूमधाम से मनाया हो। हर साल वे इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं और अपनी छात्राओं को बहन का दर्जा देते हैं। उनके अनुसार, शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी उतना ही जरूरी है।

सोशल मीडिया पर वायरल
कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए हैं। कई लोगों ने इसे “गुरु और शिष्या” के रिश्ते का सुंदर उदाहरण बताया, वहीं कई ने उनकी पहल को समाज के लिए प्रेरणादायक कहा।

खान सर की यह पहल न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि शिक्षक और छात्रों का रिश्ता सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भाईचारे, सम्मान और अपनापन भी शामिल है।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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