द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत के साथ युद्ध की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। आसिफ का यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान पहले ही अपनी सेनाओं को पूरी तरह अलर्ट पर रखे हुए है। यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच सैन्य बयानबाज़ी को नई ऊंचाई पर ले जाती है।
आसिफ का यह चेतावनी भरा बयान भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को ’88 घंटे का ट्रेलर’ कहने के कुछ दिनों बाद सामने आया है। जनरल द्विवेदी ने कहा था कि अगर हालात की जरूरत पड़ी, तो भारतीय सेना पाकिस्तान को ‘जिम्मेदारी से पेश आना सिखाने के लिए तैयार’ है। यह टिप्पणी पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच ही सामने आई, जिससे तनाव और गहरा हो गया है।
हम भारत की न तो उपेक्षा कर रहे हैं और न ही उस पर भरोसा – ख़्वाजा आसिफ़
समा टीवी को दिए गए इंटरव्यू में ख्वाजा आसिफ ने कहा, हम भारत की न तो उपेक्षा कर रहे हैं और न ही उस पर भरोसा। किसी भी तरह की युद्ध-परिस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। हमें हर समय सतर्क रहना होगा। यह बयान पाकिस्तान के भीतर गहरे सुरक्षा संकट को दर्शाता है, जहां सरकार और सेना दोनों तरफ़ से दो मोर्चों पर खतरा महसूस कर रहे हैं।
इससे पहले भी आसिफ ने आक्रामक लहजा अपनाते हुए कहा था कि पाकिस्तान एक साथ पूर्वी सीमा (भारत) और पश्चिमी सीमा (अफगानिस्तान) दोनों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, अगर वे अंतिम दौर चाहते हैं, तो हमारे पास युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। अल्लाह ने पहले दौर में हमारी मदद की थी, और वह दूसरे दौर में भी करेगा। यह बयान न केवल भारत के साथ बल्कि अफगानिस्तान के साथ भी बिगड़ते संबंधों की ओर इशारा करता है।
डरा हुआ है पाकिस्तान
इन तीखी टिप्पणियों के बीच यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इस साल भारत में कई हिंसक घटनाएं हुईं, जिनसे तनाव और भड़का है। 10 नवंबर को दिल्ली में हुए कार विस्फोट में 15 लोगों की मौत ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को और गहरा किया। इससे पहले पहलगाम में हुए हमले ने भी भारत-पाकिस्तान रिश्तों में नई खाई पैदा की।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच भी हालिया महीनों में बड़े पैमाने पर संघर्ष हुए हैं। पिछले महीने पाकिस्तानी सेना और तालिबान लड़ाकों के बीच भीषण झड़पों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद तुर्किये और कतर की मध्यस्थता से 19 अक्टूबर को युद्धविराम लागू किया गया। इन घटनाओं ने पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को बेहद अस्थिर बना दिया है।
कुल मिलाकर, ख्वाजा आसिफ की हालिया चेतावनी सिर्फ बयानबाज़ी नहीं बल्कि पाकिस्तान के भीतर बढ़ते आंतरिक और बाहरी दबावों को दर्शाती है। भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर का संकेत और पाकिस्तान की दो-फ्रंट सुरक्षा चुनौतियां इस क्षेत्र को फिर से संभावित संघर्ष क्षेत्र में बदल सकती हैं। तनाव बढ़ रहा है और दक्षिण एशिया एक बार फिर अनिश्चितता की ओर बढ़ता दिख रहा है।

