द लोकतंत्र : संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर ‘जी राम जी’ करने वाले प्रस्तावित बिल को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले पर विपक्षी दलों ने सड़क से संसद तक विरोध की रणनीति बनाई है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस बिल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा और तीखा हमला किया है।
राहुल गांधी का सीधा आरोप: महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान
मंगलवार (16 दिसंबर, 2025) को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को ‘दो चीजों से पक्की नफरत है – महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से’। उन्होंने मनरेगा को महात्मा गांधी के ‘ग्राम-स्वराज’ के सपने का जीवंत रूप बताया, जो करोड़ों ग्रामीणों की जिंदगी का सहारा है और कोविड काल में आर्थिक सुरक्षा कवच भी साबित हुआ।
- योजना को कमजोर करने का प्रयास: गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री को यह योजना हमेशा खटकती रही है और पिछले 10 सालों से इसे लगातार कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब सरकार इस योजना का नामो-निशान मिटाने पर आमादा है।
मनरेगा की बुनियाद पर हमला और केंद्र की मनमानी
राहुल गांधी ने बिल के माध्यम से मनरेगा की बुनियादी संरचना में होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डाला और उन्हें ग्रामीणों के अधिकारों पर हमला बताया।
- मूल सिद्धांतों पर सवाल: उन्होंने मनरेगा के तीन मूल विचारों को दोहराया – रोजगार का अधिकार, गांव को प्रगति कार्य तय करने की स्वतंत्रता और केंद्र द्वारा मजदूरी का पूरा खर्च वहन करना।
- केंद्र में शक्ति केंद्रित: नये बिल के माध्यम से, गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी सारी ताकत सिर्फ अपने हाथों में केंद्रित करना चाहते हैं। इसके तहत बजट, योजनाएं और नियम केंद्र तय करेगा और राज्यों को 40% खर्च उठाने के लिए मजबूर किया जाएगा। साथ ही, बजट खत्म होने पर या फसल कटाई के मौसम में दो महीने तक किसी को काम नहीं मिलने की बात कही गई है।
जनविरोधी बिल के विरोध का ऐलान
राहुल गांधी ने निष्कर्ष निकाला कि यह नया बिल सीधे तौर पर महात्मा गांधी के आदर्शों का अपमान है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पहले ही भयंकर बेरोजगारी से युवाओं का भविष्य तबाह कर चुकी है, और यह बिल अब ग्रामीण गरीबों की सुरक्षित रोजी-रोटी को भी खत्म करने का जरिया बनेगा। विपक्ष ने इस जनविरोधी बिल का गांव की गलियों से लेकर संसद तक कड़ा विरोध करने का ऐलान किया है। आने वाले दिनों में इस बिल को लेकर संसद में एक गर्मजोशी भरा बहस देखने को मिलने की संभावना है।

