द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : मोदी सरकार ने देशभर के किसानों को बड़ी राहत देते हुए उर्वरकों पर सब्सिडी को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में रबी सीजन 2025-26 के लिए फॉस्फोरस और पोटाश (P&K) उर्वरकों पर सब्सिडी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। सरकार ने किसानों के लिए लगभग ₹37,952 करोड़ की खाद सब्सिडी को हरी झंडी दी है, जिससे देश के करोड़ों अन्नदाताओं को सीधे लाभ मिलेगा।
हम अपने किसान भाई-बहनों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए लिखा, हम अपने किसान भाई-बहनों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इसी दिशा में हमारी सरकार ने रबी सीजन 2025-26 के लिए फॉस्फोरस और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी को मंजूरी दी है। इससे किसानों को किफायती दरों पर उर्वरक मिलेंगे और उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
सरकार के इस निर्णय से किसानों को डीएपी, एनपीके और अन्य उर्वरक पहले से अधिक सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगे। मंत्रालय के अनुसार, इस कदम के लिए खरीफ सीजन 2025 की तुलना में ₹736 करोड़ अधिक राशि स्वीकृत की गई है। यह सब्सिडी अप्रैल 2010 से लागू न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) योजना के तहत दी जाएगी, जिसके अंतर्गत देशभर में 28 प्रकार के फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों (जिनमें डीएपी भी शामिल है) पर छूट प्रदान की जाती है।
केंद्र सरकार का निर्णय किसान-हितैषी नीति का प्रमाण
केंद्र सरकार का यह फैसला ऐसे समय आया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया, डीएपी, एमओपी और सल्फर जैसे उर्वरकों के कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। सरकार ने किसानों पर इस महंगाई का बोझ न पड़े, इसके लिए उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी राशि सीधे उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है ताकि किसानों तक सस्ती दरों पर खाद पहुंच सके।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय के लिए किसानों की ओर से आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार की किसान-हितैषी नीति का प्रमाण है। मोदी जी के नेतृत्व में देश का अन्नदाता सशक्त और आत्मनिर्भर बन रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सब्सिडी कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने और किसानों की लागत घटाने में मदद करेगी। आने वाले सीजन में उत्पादन लागत कम होने से फसलों की उत्पादकता में वृद्धि की संभावना है।

