द लोकतंत्र : संसद का बजट सत्र आज सोमवार (22 जुलाई) से शुरू हो रहा है। बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण को सदन के पटल पर रखेंगी। यह बजट सत्र 12 अगस्त तक चलने की संभावना है। बजट सत्र में 22 दिनों की अवधि के दौरान 16 बैठकें होनी हैं। आज आर्थिक सर्वेक्षण सदन के पटल पर रखा जाएगा जबकि कल 23 जुलाई को आम बजट पेश होगा। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रिकॉर्ड सातवीं बार केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 लोकसभा में दोपहर 1 बजे पेश किया जाएगा। इसके बाद दोपहर 2 बजे इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। दोपहर 02.30 नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी। जानकारी के लिए बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण को केंद्रीय बजट से एक दिन पहले पेश किए जाने की परंपरा है। इस सर्वेक्षण से बजट को लेकर सरकार के दृष्टिकोण को कुछ हद तक समझा जा सकता है।
संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने सभी दलों के नेताओं से सहयोग और समर्थन का अनुरोध किया
संसदीय कार्य मंत्रालय के किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत का आर्थिक सर्वेक्षण सोमवार 22 जुलाई, 2024 को संसद के सदनों के पटल पर रखा जाएगा। 2024 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का बजट भी 23 जुलाई, 2024 को पेश किया जाएगा। इस सत्र के दौरान विधायी कार्य के 6 और वित्तीय कार्य के 3 मदों की पहचान की गई है।
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उन्होंने कहा कि संसद को सुचारू ढंग से चलाना सरकार के साथ-साथ विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। सर्वदलीय बैठक में भाजपा को मिलाकर 41 राजनीतिक दलों के 55 नेता शामिल हुए। उन्होंने कहा कि, नेताओं ने बजट सत्र को लेकर कई अच्छे सुझाव भी दिए। सभी राजनीतिक दलों ने बैठक में अपने-अपने मुद्दों को रखा। सरकार संबंधित पीठासीन अधिकारियों द्वारा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के तहत अनुमति के अनुसार किसी भी मुद्दे पर सदन के पटल पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने संसद के दोनों सदनों के सुचारू कामकाज के लिए सभी दलों के नेताओं से सहयोग और समर्थन का भी अनुरोध किया।
राजनाथ सिंह ने दी संसदीय परंपरा के निर्वहन की नसीहत
वहीं, कल रविवार को हुए सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी मुद्दों पर खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार रहने की बात कहते हुए विपक्षी दलों को संसद की पवित्रता बनाये रखने की नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों ने जो हंगामा और व्यवधान किया, वह संसदीय परंपरा के लिए उचित नहीं था।