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पूर्व प्रधानमंत्री के पोते Prajwal Revanna को Rape Case में उम्रकैद, घरेलू सहायिका के साथ बार-बार किया था बलात्कार

द लोकतंत्र: जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद और देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को घरेलू सहायिका से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें से पूरी राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।

अदालत का फैसला:
कोर्ट ने IPC की कई धाराओं के तहत अधिकतम सजा सुनाई है। IPC 376(2)(k) और 376(2)(n) के तहत उम्रकैद और 5 लाख जुर्माना, धारा 354(a), 354(b), 354(c), 506 और 201 के तहत कुल 6 साल से ज्यादा की सजा और जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, IT Act की धारा 66(E) के तहत भी सजा दी गई है।

क्या था मामला:
हासन जिले के होलेनरसीपुरा में स्थित रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करने वाली 48 वर्षीय घरेलू सहायिका ने आरोप लगाया था कि 2021 से लगातार प्रज्वल रेवन्ना ने उसके साथ बलात्कार किया और वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल करता रहा। पीड़िता ने FIR में आरोप लगाया कि आरोपी ने धमकी दी थी कि यदि उसने किसी को बताया, तो वीडियो वायरल कर देगा।

वीडियो वायरल और पलायन:
यह मामला अप्रैल 2024 में सामने आया जब कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो वायरल हुए। 23 अप्रैल को हासन लोकसभा क्षेत्र में मतदान से तीन दिन पहले वीडियो सामने आए। भारी विवाद के बीच प्रज्वल रेवन्ना 24 अप्रैल को भारत छोड़कर जर्मनी चले गए। इसके बाद भारत सरकार ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया और उन्हें हिरासत में लेकर वापस लाया गया।

राजनीतिक हलकों में हड़कंप:
इस मामले ने देशभर में राजनीतिक भूचाल ला दिया। विपक्षी पार्टियों ने जेडीएस और बीजेपी गठबंधन पर सवाल उठाए, जबकि महिलाओं के अधिकार संगठनों ने पीड़िताओं को न्याय दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया।

अदालत का संदेश:
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यौन अपराधों के मामलों में कोई भी व्यक्ति कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे कानून के दायरे में लाया जाएगा। यह फैसला महिलाओं की गरिमा और न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता का प्रतीक माना जा रहा है।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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