द लोकतंत्र: वृंदावन स्थित श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज का नाम आध्यात्मिक जगत में विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। वे अपने प्रवचनों से लाखों लोगों को मार्गदर्शन देते हैं। उनके श्रोताओं में केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों से जुड़े लोग भी शामिल हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें जगद्गुरु रामभद्राचार्य प्रेमानंद महाराज को संस्कृत श्लोक सुनाने की चुनौती देते दिखे। इस वीडियो के सामने आने के बाद कई संतों ने इसे अनुचित बताया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का प्रेमानंद महाराज को समर्थन
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwarananda) ने प्रेमानंद महाराज का समर्थन करते हुए कहा कि किसी संत की भक्ति का मूल्यांकन संस्कृत ज्ञान से नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा,
“प्रेमानंद महाराज दिनभर राधा-राधा नाम का स्मरण करते हैं। क्या ‘राधा’ शब्द संस्कृत का नहीं है? ऐसे प्रश्न उठाने वालों को शायद सुनाई और दिखाई नहीं देता।” उनका यह बयान सीधे तौर पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य के लिए माना गया।
धीरेंद्र शास्त्री पर तंज
अविमुक्तेश्वरानंद ने धीरेंद्र शास्त्री के हालिया बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। कुछ दिन पहले धीरेंद्र शास्त्री ने एक कथा के दौरान कहा था कि वे अविमुक्तेश्वरानंद का सम्मान करते हैं, “भले ही वे हमें हर दो दिन में गाली बकते रहते हैं।”
इस पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “‘बकना’ शब्द का अर्थ है व्यर्थ में बोलना। यह सम्मानजनक शब्दावली नहीं है। यदि आप कहते हैं कि आप किसी का आदर करते हैं, तो ऐसे शब्दों का प्रयोग उचित नहीं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि संतों के बीच विचारों का मतभेद हो सकता है, लेकिन भाषा में मर्यादा बनाए रखना आवश्यक है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
यह विवाद सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड कर रहा है। प्रेमानंद महाराज के अनुयायियों ने अविमुक्तेश्वरानंद के बयान का स्वागत किया और कहा कि संतों को एक-दूसरे के प्रति सम्मान बनाए रखना चाहिए। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि ऐसे मुद्दे सार्वजनिक मंचों के बजाय आपसी संवाद से हल किए जाने चाहिए।
वृंदावन से लेकर अन्य धार्मिक स्थलों तक, यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। संत समाज के कई लोग अब इस पर संयमित भाषा में संवाद की अपील कर रहे हैं, ताकि भक्तों में भ्रम की स्थिति न बने।