द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू बुधवार, 29 अक्टूबर 2025 को अंबाला एयरबेस से राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरेंगी। यह क्षण भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ने जा रहा है। राष्ट्रपति का यह उड़ान मिशन उस जेट से होगा जिसने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह कर भारत की सामरिक क्षमता और वायुसेना के पराक्रम को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया था।
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि महामहिम अंबाला एयरबेस पहुंचकर गोल्डन ऐरो (17वीं) स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन रंजीत सिंह सिद्धू और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगी। इसके बाद वह दो-सीटर ट्रेनर राफेल में उड़ान भरेंगी, जो लगभग तीस मिनट की प्रतीकात्मक उड़ान होगी। राष्ट्रपति मुर्मू का यह निर्णय सशस्त्र सेनाओं के प्रति उनके सम्मान और विश्वास को दर्शाता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’: राफेल ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को किया था नेस्तनाबूद
अंबाला एयरबेस पर स्थित 17वीं गोल्डन ऐरो स्क्वाड्रन वही यूनिट है जिसने 6-7 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया था। इस मिशन के दौरान भारतीय वायुसेना के राफेल जेट्स ने पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर सटीक बमबारी की थी।
इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया हुआ था, जिनमें मसूद अजहर के परिवार के सदस्य भी शामिल थे। इस हमले ने न केवल भारत की रणनीतिक क्षमता का परिचय दिया बल्कि यह भी साबित किया कि नई पीढ़ी के राफेल जेट किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं।
विंग कमांडर शिवानी के बारे में पाकिस्तान ने फैलाया था प्रॉपगैंडा
ऑपरेशन सिंदूर में महिला फाइटर पायलट विंग कमांडर शिवानी की भूमिका भी चर्चा में रही थी। उन्होंने इस मिशन में अपनी दक्षता से देश का मान बढ़ाया। हालांकि पाकिस्तान ने इस दौरान उनके बंधक बनाए जाने का झूठा प्रचार फैलाने की कोशिश की, जिसे भारतीय वायुसेना ने तुरंत खारिज कर दिया। वर्तमान में विंग कमांडर शिवानी एयरफोर्स की ट्रेनिंग एकेडमी में इंस्ट्रक्टर के रूप में कार्यरत हैं और युवा फाइटर पायलटों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू पहले भी 2023 में असम के तेजपुर एयरबेस से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भर चुकी हैं। अब राफेल में उड़ान भरकर वे न केवल वायुसेना के साहस का सम्मान कर रही हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और भारतीय सैन्य शक्ति की नई परिभाषा भी गढ़ रही हैं। अंबाला एयरबेस पर यह उड़ान समारोह प्रतीक होगा उस विश्वास, समर्पण और गौरव का, जो हर भारतीय के हृदय में अपनी सेनाओं के प्रति विद्यमान है।

