द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड की गुत्थी अब सुलझने के करीब है। इस दिल दहला देने वाले मामले में इंदौर निवासी राजा रघुवंशी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुई उनकी पत्नी सोनम रघुवंशी और अन्य चार आरोपियों को मेघालय पुलिस ने शिलांग ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी है। जांच एजेंसियां अब इस जघन्य अपराध की परतें उधेड़ने में जुट गई हैं।
पुलिस पूछताछ में टूट गई सोनम, बयान की अपनी बेवफ़ाई की कहानी
सूत्रों के अनुसार, सोनम ने प्रारंभिक पूछताछ में अपराध कबूल कर लिया है। एसआईटी की टीम द्वारा ठोस सबूत पेश किए जाने के बाद वह मानसिक रूप से टूट गई और हत्या में अपनी भूमिका स्वीकार की। हालांकि, पुलिस की ओर से इस स्वीकारोक्ति की अभी तक औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है। ईस्ट खासी हिल्स के एडिशनल एसपी आशीष ने मीडिया को जानकारी दी कि आरोपियों को अदालत में पेश करने की कानूनी प्रक्रिया चल रही है, इसलिए उनसे पूछताछ सीमित रही। लेकिन यह स्पष्ट है कि सोनम की संलिप्तता की संभावनाएं बेहद मजबूत हैं।
पूर्वी खासी हिल्स के एसपी विवेक सायम ने कहा कि गहन जांच की प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है। उनके अनुसार, पुलिस के पास ऐसे पर्याप्त सबूत हैं जो सोनम की सीधी संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, यह स्पष्ट होगा कि उसने इस साजिश में क्या भूमिका निभाई और हत्या की योजना कैसे रची गई।
सोनम ने बुनी थी ख़ौफ़नाक साज़िश
इससे पहले मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई थी कि राजा की हत्या के बाद सोनम सबसे पहले गुवाहाटी पहुंची, जहां से वह ट्रेन द्वारा 25 मई को इंदौर आई। यहां उसने अपने कथित प्रेमी राज कुशवाहा से मुलाकात की और दोनों ने किराये के एक कमरे में रात बिताई। अगले दिन राज ने सोनम को एक कार के माध्यम से उत्तर प्रदेश रवाना कर दिया। राज की योजना थी कि सोनम को फतेहपुर स्थित अपने गांव में छिपा दिया जाए, लेकिन सोनम वाराणसी होते हुए गाजीपुर के नंदगंज पहुंची, जहां 9 जून की रात उसने आत्मसमर्पण कर दिया।
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इस हत्याकांड में सोनम के अलावा विशाल चौहान, आकाश राजपूत, आनंद कुर्मी और राज कुशवाहा भी आरोपी हैं। इन सभी को शिलांग ट्रांजिट रिमांड पर ले जाया गया है। प्रारंभिक जांच में सोनम द्वारा यह दावा भी किया गया था कि उसे नशीला पदार्थ खिलाकर मेघालय से यूपी लाया गया था, लेकिन मेघालय पुलिस की पड़ताल से यह झूठ साबित हुआ।
यह पूरा मामला अब न केवल एक पारिवारिक विवाद का पहलू दिखाता है, बल्कि सुनियोजित हत्या, धोखे और भागने की साजिश को भी उजागर करता है। मेघालय पुलिस, इंदौर एसआईटी और अन्य एजेंसियों की संयुक्त जांच से आने वाले दिनों में इस हत्याकांड से जुड़ी कई और परतें खुलने की संभावना है। इस केस ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि अपराध कितना भी सुनियोजित क्यों न हो, न्याय की प्रक्रिया अंततः उसे बेनकाब कर ही देती है।