द लोकतंत्र : उत्तर प्रदेश के अयोध्या में आज श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में ऐतिहासिक ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पावन अनुष्ठान का नेतृत्व किया और मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराया। इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। यह दिवस सांस्कृतिक पुनर्जागरण और दीर्घकालिक धार्मिक संकल्प की सिद्धि का प्रतीक बन गया।
यात्रा की शुरुआत: सप्त ऋषि और शेषावतार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अयोध्या दौरे की शुरुआत को अत्यंत धार्मिक और पारंपरिक रखा।
- सप्त ऋषि मंदिर: पीएम मोदी ने सबसे पहले सप्त ऋषि मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की। यह मंदिर परिसर में महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी को समर्पित है, जो राम कथा के महत्वपूर्ण पात्र हैं।
- शेषावतार मंदिर: इसके बाद उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि परिसर स्थित शेषावतार मंदिर में भगवान शेषावतार लक्ष्मण की विशेष पूजा और अनुष्ठान संपन्न किया, साथ ही परिसर में स्थित जलाशय के भी दर्शन किए।
इन दर्शनों के माध्यम से प्रधानमंत्री ने न केवल मुख्य देवता बल्कि रामकथा से जुड़े सभी महत्वपूर्ण संतों और सहायक पात्रों को भी सम्मान दिया, जो इस दौरे को एक संपूर्ण धार्मिक यात्रा का स्वरूप प्रदान करता है।
रोड शो और मुख्य अनुष्ठान
अयोध्या पहुँचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि तक करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा रोड शो किया।
- जनता का उत्साह: इस दौरान सड़कों पर मौजूद लोगों ने ज़ोरदार नारेबाजी की और प्रधानमंत्री पर फूलों की वर्षा की। यह उत्साह अयोध्या के निवासियों के गहरे जुड़ाव और उल्लास को दर्शाता है।
- गर्भ गृह में पूजा: रोड शो के बाद पीएम मोदी, मोहन भागवत और अन्य दिग्गजों ने रामलला के गर्भ गृह में पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात, अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री ने मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराकर इस भव्य अनुष्ठान को संपन्न किया।
विशेष धर्म ध्वज और विवाहोत्सव
अयोध्या में लहराया गया यह भगवा ध्वज विशेष रूप से तैयार कराया गया है, जो मंदिर की नागर शैली को पूर्णता प्रदान करता है।
- ध्वज की विशेषता: यह ध्वज 10 फीट ऊँचा और 20 फीट लंबा है। इस पर भगवान राम की वीरता का प्रतीक चमकता हुआ सूरज, ‘ओम’ का निशान और कोविदार का पेड़ चिह्नित है। कोविदार वृक्ष रघुकुल की पारंपरिक पहचान है।
- राम विवाहोत्सव: इस ऐतिहासिक अवसर को और भी खास बनाते हुए, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा पहली बार श्रीराम विवाहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जनकपुर से तिलक का अयोध्या पहुँचना, इस धार्मिक और सामाजिक उत्सव को एक अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आयाम प्रदान करता है। यह पूरा आयोजन अयोध्या में धार्मिक आस्था के पुनर्जागरण और सामाजिक समरसता के संदेश को सुदृढ़ करता है।

