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रामनाथ गोयनका लेक्चर: पीएम मोदी के भाषण से प्रभावित हुए कांग्रेस नेता, शशि थरूर बोले- पीएम भावनात्मक मूड में थे

Ramnath Goenka Lecture: Congress leader impressed by PM Modi's speech, Shashi Tharoor said - PM was in an emotional mood

द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : दिल्ली में आयोजित रामनाथ गोयनका लेक्चर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और गुलामी की मानसिकता पर तीखा प्रहार किया। कार्यक्रम में मौजूद कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने हालांकि प्रधानमंत्री के संबोधन की सार्वजनिक रूप से सराहना कर राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है। थरूर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को ‘उभरते बाजार’ से परे एक उभरते मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने पर जोर दिया, जो आधुनिक वैश्विक परिदृश्य में महत्वपूर्ण संदेश है।

शशि थरूर बोले- पीएम भावनात्मक मूड में थे, चुनावी नहीं

तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने लिखा कि प्रधानमंत्री पर अक्सर ‘चुनावी मूड’ में रहने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन उनके इस भाषण में भावनात्मक जुड़ाव अधिक दिखा। उन्होंने कहा कि भाषण का बड़ा हिस्सा थॉमस बैबिंगटन मैकाले द्वारा छोड़ी गई गुलामी की मानसिकता को बदलने और भारत की सांस्कृतिक जड़ों पर गौरव पुनर्स्थापित करने पर केंद्रित था। थरूर ने आगे कहा कि भाषण में भारतीय भाषाओं, विरासत और शिक्षा व्यवस्था के पुनर्जागरण के लिए 10 वर्षीय राष्ट्रीय मिशन का आह्वान प्रभावशाली रहा।

https://twitter.com/ShashiTharoor/status/1990652328224174334

दर्शकों के बीच बैठे थरूर, बोले- सर्दी-ज़ुकाम के बावजूद सुनने आया

थरूर ने लिखा कि वे सर्दी-ज़ुकाम से जूझ रहे थे, फिर भी कार्यक्रम में मौजूद रहकर प्रधानमंत्री का संबोधन सुनने में उन्हें खुशी हुई। उन्होंने कहा कि यह भाषण आर्थिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक चेतना दोनों का मिश्रित स्वरूप था। थरूर ने प्रधानमंत्री को एक सुझाव देते हुए कहा कि काश वे यह उल्लेख भी करते कि रामनाथ गोयनका ने भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद करने के लिए अंग्रेजी भाषा का बेहतरीन उपयोग किया था।

पीएम मोदी का कांग्रेस पर सीधा हमला- मैकाले की सोच को बढ़ावा दिया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने आज़ादी के बाद भी मैकाले की सोच को बढ़ावा दिया, जिसने भारत की शिक्षा व्यवस्था को तोड़ने की रणनीति बनाई थी। पीएम मोदी ने कहा, मैकाले ने भारतीय शिक्षा की कमर तोड़ने का संकल्प लिया और वह इसमें सफल भी रहा। उसकी नीतियों के चलते अंग्रेजी को प्रतिष्ठा मिल गई, जबकि भारतीय भाषाओं और संस्कृति को हाशिये पर धकेला गया। इसका खामियाजा देश ने कई पीढ़ियों तक भुगता।

पीएम के अनुसार, गुलामी की मानसिकता का असर आज भी देश के कई तंत्रों और मानसिक ढाँचों में दिखाई देता है, जिसे समाप्त करने के लिए बड़े सांस्कृतिक और शैक्षिक सुधार की आवश्यकता है।

Team The Loktantra

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