द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों के बाद भारत-रूस संबंधों (India-Russia Relations) में किसी भी प्रकार के तनाव की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि भारत की विदेश नीति पूरी तरह से स्वतंत्र है और उसके द्विपक्षीय संबंध किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं आंके जाने चाहिए।
रणधीर जायसवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, हमारे सभी द्विपक्षीय संबंध चाहे वो अमेरिका के साथ हों, रूस के साथ हों या किसी और देश के साथ, हमारी अपनी शर्तों और हितों के आधार पर तय होते हैं। हम इन्हें किसी और देश के चश्मे से नहीं देखते।
रूस, भारत का विश्वसनीय और दीर्घकालिक साझेदार
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी (India-Russia Strategic Partnership) पर पूछे गए सवाल के जवाब में जायसवाल ने कहा कि रूस भारत का समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला साझेदार रहा है। रक्षा क्षेत्र में सहयोग का ज़िक्र करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की रक्षा आवश्यकताएं पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों और रणनीतिक विश्लेषण पर आधारित होती हैं, न कि किसी बाहरी दबाव पर।
विदेश मंत्रालय ने इस बात को भी दोहराया कि रूस, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में भारत का अहम सहयोगी रहा है और दोनों देशों के बीच सहयोग की गहराई और स्थायित्व वर्षों से साबित होती रही है। यह बयान उन रिपोर्ट्स के बीच आया है, जिनमें दावा किया गया था कि भारत की कुछ तेल कंपनियों ने रूस से तेल आयात (Russian Oil Import) रोक दिया है।
रूसी तेल पर सफाई: ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि
रूसी तेल आयात को लेकर MEA ने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा आपूर्ति रणनीति (India’s Energy Strategy) बाजार की स्थितियों और वैश्विक घटनाक्रमों के अनुसार तय की जाती है। जायसवाल ने कहा, हमने उन रिपोर्ट्स को देखा है, लेकिन हमारे पास रूसी तेल की आपूर्ति बंद होने जैसी किसी बात की पुष्टि नहीं है। भारत की ऊर्जा नीति का उद्देश्य सस्ती, विश्वसनीय और सतत आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
गौरतलब है कि रूस वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, और भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 35–40 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। यह आँकड़ा यूक्रेन युद्ध से पहले महज़ 0.2 प्रतिशत था।
भारत-अमेरिका संबंधों पर भी रखी बात
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ (Dead Economy) कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध (India-US Relations) साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिकी साझेदारी को ठोस एजेंडे के तहत आगे बढ़ा रहा है और दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग का सिलसिला लगातार जारी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और रणनीतिक वार्ताएं कई स्तरों पर हो रही हैं और दोनों देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं।
नोबेल पुरस्कार की मांग पर मंत्रालय का जवाब
जब व्हाइट हाउस की प्रवक्ता द्वारा डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार (Trump Nobel Prize Demand) दिए जाने संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो जायसवाल ने संक्षेप में कहा कि इस पर जवाब देने का अधिकार केवल व्हाइट हाउस का है। भारत इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा।