द लोकतंत्र: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट पर कोर्ट का आदेश एक बार फिर टल गया है। राऊज एवेन्यू कोर्ट अब इस मामले में अपना फैसला 2 अगस्त को सुनाएगा। यह केस गुरुग्राम लैंड डील से जुड़ा हुआ है, जिसमें रॉबर्ट वाड्रा और उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को आरोपी बनाया गया है।
चार्जशीट में क्या हैं आरोप?
ईडी ने इस चार्जशीट में रॉबर्ट वाड्रा समेत 11 अन्य लोगों को आरोपी बनाया है। आरोप है कि वाड्रा की कंपनी ने साल 2008 में 3.53 एकड़ जमीन सिर्फ 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी, लेकिन प्रोजेक्ट को पूरा किए बिना ही उसी जमीन को 58 करोड़ में बेच दिया गया। ईडी के मुताबिक, इस लेन-देन में मनी लॉन्ड्रिंग के नियमों का उल्लंघन हुआ। इस मामले में वाड्रा की 43 संपत्तियां भी एजेंसी ने अटैच की हैं, जिनकी कुल वैल्यू करीब 37 करोड़ रुपये बताई गई है।
वाड्रा का जवाब: “सच के लिए लड़ता रहूंगा”
आदेश टलने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि “मेरे खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन मैं सच्चाई के लिए लड़ता रहूंगा।” उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी सरकार झूठे आरोप लगाए और एजेंसियों का दुरुपयोग करे, लेकिन उनका परिवार हमेशा देश के लोगों के साथ खड़ा रहेगा। उन्होंने आगे कहा, “सरकार मुझसे सब कुछ छीन सकती है, लेकिन मेरी सच्चाई और जनता का समर्थन नहीं छीन सकती।”
राहुल गांधी का समर्थन
इस चार्जशीट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मेरे जीजाजी को पिछले 10 सालों से परेशान किया जा रहा है। यह चार्जशीट भी उसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।” राहुल ने कहा कि वह प्रियंका, रॉबर्ट और उनके बच्चों के साथ खड़े हैं और विश्वास जताया कि “सच्चाई की जीत होगी।”
मामला क्या है?
ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच गुरुग्राम पुलिस द्वारा 2018 में दर्ज की गई एक FIR पर आधारित है, जिसमें जमीन सौदे में धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद ईडी ने कार्रवाई करते हुए वाड्रा और उनकी कंपनियों की संपत्तियां जब्त की थीं।
निष्कर्ष
2 अगस्त को कोर्ट का आदेश इस मामले की दिशा तय करेगा। फिलहाल विपक्ष इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहा है, जबकि जांच एजेंसियां कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही हैं।