द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : लद्दाख में राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची की मांग को लेकर भड़की हिंसा ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस बीच प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और समाजसेवी सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला है। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया तो सरकार की मुश्किलें उनकी आज़ादी से कहीं ज्यादा बढ़ जाएंगी।
गुरुवार को मीडिया से बातचीत में वांगचुक ने गृह मंत्रालय के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें बुधवार को हुई हिंसा के लिए उन्हें जिम्मेदार बताया गया था। उन्होंने कहा कि असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सरकार बलि का बकरा तलाश रही है, जबकि हकीकत यह है कि युवाओं की नाराज़गी और अधूरी मांगें इस हिंसा की असली वजह हैं।
दो साल के लिए जेल भेजने की तैयारी, वांगचुक का दावा
वांगचुक ने कहा कि उन्हें जनसुरक्षा कानून (PSA) के तहत दो साल के लिए जेल भेजने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण अंदाज में कहाकि, मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं। लेकिन यह याद रखिए कि जेल में बैठा वांगचुक सरकार के लिए बाहर के वांगचुक से कहीं ज्यादा परेशानी का सबब बनेगा।
सोनम वांगचुक ने स्पष्ट कहा कि हिंसा की जड़ युवाओं की लंबे समय से अनदेखी की जा रही मांगों और बढ़ती बेरोजगारी में है। उन्होंने कहा कि पिछले छह साल से रोजगार और राज्य के दर्जे को लेकर किए गए वादे अधूरे पड़े हैं। सरकार आंशिक आरक्षण का ढोंग कर रही है, जबकि लद्दाख की जनता असली मांग दरअसल राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का विस्तार चाहती है।
लद्दाख में अब तक की सबसे बड़ी हिंसा
बुधवार को लेह जिले में प्रदर्शन हिंसक हो गया। राज्य का दर्जा बहाल करने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी, आगजनी और तोड़फोड़ की। हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इनमें करीब 40 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। भीड़ ने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल को भी निशाना बनाया तथा कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
स्थिति बिगड़ती देख पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले दागे। प्रशासन ने पूरे लेह जिले में कर्फ्यू लागू कर दिया है और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
गृहमंत्रालय और उपराज्यपाल की प्रतिक्रिया
गृहमंत्रालय ने देर रात बयान जारी कर कहा कि हिंसा भड़काने में राजनीतिक रूप से प्रेरित नेताओं और वांगचुक जैसे कार्यकर्ताओं के भड़काऊ बयानों की भूमिका है। मंत्रालय ने चेतावनी दी कि कोई भी पुराना या भड़काऊ वीडियो सोशल मीडिया पर न फैलाया जाए। मंत्रालय ने यह भी कहा कि लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से लगातार बातचीत हो रही है और 6 अक्टूबर को उच्च स्तरीय समिति की बैठक होगी।
वहीं, उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार सबको है, लेकिन लेह की हिंसा एक सुनियोजित साजिश का नतीजा थी। उन्होंने साफ कहा कि माहौल बिगाड़ने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। लद्दाख की यह हिंसा न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग अब पूरे क्षेत्र का मुख्य मुद्दा बन गई है। ऐसे में सरकार पर यह दबाव बढ़ रहा है कि वह इस मसले का समाधान निकाले और लद्दाख की जनता को भरोसे में ले।