द लोकतंत्र : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जातिगत सर्वे की अनुमति देने के पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से दो टूक कहा कि वह इस प्रक्रिया पर तब तक रोक नहीं लगाएगा जब तक कि याचिकाकर्ता इसके खिलाफ प्रथम दृष्टया ठोस आधार नहीं देते। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्पष्ट किया कि वो बिहार सरकार को जाति-आधारित सर्वेक्षण के नतीजे प्रकाशित करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम निर्देश पारित नहीं करेगी। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप समझिए, दो चीजें हैं। एक आंकड़ों का संग्रह (Collection) है, वह कवायद जो समाप्त हो गई है। और, दूसरा सर्वेक्षण के दौरान एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण है। दूसरा भाग, ज्यादा मुश्किल है।
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बता दें, बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और जल्द ही इसे प्रकाशित किए जाने की उम्मीद है। इससे पहले, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि सर्वेक्षण प्रक्रिया गोपनीयता कानून का उल्लंघन करती है और देश में केवल केंद्र सरकार के पास जनगणना करने का अधिकार है।
गौरतलब है कि, पटना उच्च न्यायालय ने 1 अगस्त को पारित अपने आदेश में कई याचिकाओं को खारिज करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सर्वेक्षण कराने के फैसले को हरी झंडी दे दी थी। हाई कोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार ने उसी दिन प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी। बिहार में जाति आधारित गणना पर रोक का मसला अब तक सुलझा नहीं है।