द लोकतंत्र : Universal Antivenom विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एशिया में हर साल 20 लाख से ज़्यादा लोग सांपों के जहर से प्रभावित होते हैं, जबकि सिर्फ़ अफ्रीका में सालाना अनुमानतः 435,000 से 580,000 लोग सांप के काटने के शिकार होते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन के मुताबिक सांप के काटने से भारत में हर साल 46,000 से अधिक लोगों की जान चली जाती है।
आपको बता दें, सर्पदंश का एकमात्र इलाज एंटीवेनम होता है। हालाँकि इसके लिए जरूरी है कि एंटीवेनम उसी प्रजाति के सांप के जहर का होना चाहिए, जिसने काटा है। लेकिन दिक़्क़त तब होती है जब कुछ लोगों को यह पता नहीं होता कि उन्हें किस प्रजाति के सांप ने काटा है। कई मामलों में कुछ विशेष प्रजाति के सांपों के एंटीवेनम उपलब्ध भी नहीं होते हैं। जिसकी वजह से सर्पदंश से पीड़ित मनुष्य की जान भी चली जाती है।
लिवरपूल विवि के स्टुअर्ट एन्सवर्थ और लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन की केमिली अबाडा और उनके सहयोगी एक ऐसा ‘यूनिवर्सल एंटीवेनम’ बनाने के बेहद क़रीब हैं जिससे कई प्रकार के सांपों के जहर में पाए जाने वाले न्यूरोटॉक्सिन को बेअसर किया जा सकता है। साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च पेपर में दी गई जानकारी के मुताबिक़ बहुत जल्द ही यह यूनिवर्सल एंटीवेनम तैयार हो जाएगा।
दुनियाभर में पाये जाने वाले साँपो की प्रजातिओं में 25 प्रतिशत सांप जहरीले
दरअसल, दुनिया भर में साँपों की 3,500 से अधिक प्रजातियां हैं। सांपों की 3,500 प्रजातियों में से केवल 600 ही ऐसी हैं जो जहरीली हैं। जिसका मतलब महज 25 प्रतिशत सांप ही जहरीले होते हैं।
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सांपों के काटने की अधिकांश घटनाएं ग्रामीण भारत में होती हैं। इनमें भी सांपों का सबसे अधिक शिकार किसानों और दिहाड़ी मजदूरों बनते हैं। खेतों में काम करते समय या काम के दौरान सांप कांटने की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। ऐसे में यूनिवर्सल एंटीवेनम की खोज एक क्रांतिकारी खोज साबित होगी।
मानवता पर मेहरबानी
2019 में सांप के काटने के कारण दुनिया भर में 63,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। दिलचस्प यह है कि मरने वालों में 51 हजार से अधिक भारत से हैं। सर्पदंश से मारने वालों में कुल मृतकों का 80 फीसदी हिस्सा भारत का है। यह यूनिवर्सल एंटीवेनम मानवता पर मेहरबानी होगी।