द लोकतंत्र: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। धराली और हर्षिल गांव इस प्राकृतिक आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, जहां अब तक 70 से अधिक लोगों का इलाज हो चुका है, और कई अब भी लापता हैं। हेलीकॉप्टरों के जरिए राहत सामग्री और मेडिकल टीमें तेजी से पहुंचाई जा रही हैं।
हेलीकॉप्टर से राहत पहुंचाई जा रही:
सेना और प्रशासन ने मिलकर धराली और हर्षिल में हेलीकॉप्टरों से राहत कार्य शुरू किए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यहां 9 सदस्यीय मेडिकल टीम भेजी है, जो स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर घायलों का इलाज कर रही है। मताली में भी 12 सदस्यीय मेडिकल टीम तैनात की गई है, जिसमें 7 डॉक्टर और 5 पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं।
गंभीर घायल मरीजों को किया गया रेफर:
अब तक 70 से ज्यादा घायलों का इलाज किया जा चुका है। गंभीर रूप से घायल मरीजों को AIIMS ऋषिकेश और सेना के अस्पताल में रेफर किया गया है। जिला अस्पताल उत्तरकाशी में 9 मरीजों का इलाज चल रहा है। मानसिक आघात झेल रहे लोगों के लिए मनोचिकित्सकों की टीम लगातार काउंसलिंग कर रही है।
राहत कार्यों में बाधा बनी टूटी सड़कें:
बाढ़ से राज्य की 163 सड़कें बाधित हुई हैं, जिनमें 5 राष्ट्रीय राजमार्ग, 7 राज्य राजमार्ग और 2 सीमा सड़कें शामिल हैं। BRO और स्थानीय प्रशासन मिलकर इन रास्तों को खोलने में जुटे हैं। लिमचिगढ़ में पुल टूट जाने से धराली और हर्षिल का संपर्क कट गया है। पुल निर्माण सामग्री पहुंचा दी गई है और रास्ता साफ होते ही काम शुरू होगा।
लापता लोग और ग्रामीणों की पीड़ा:
महाराष्ट्र के जलगांव जिले से आए 16 लोग अब भी लापता हैं, जिनमें पर्यटक, स्थानीय निवासी और मजदूर शामिल हैं। 14 राज राइफल्स की सेना टीम राहत कार्यों में जुटी है। उनके कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन के नेतृत्व में 150 जवान सहायता पहुंचा रहे हैं।
घटना के प्रत्यक्षदर्शी जयवीर नेगी ने बताया कि “धराली में 400 लोग रहते हैं। घटना के समय कुछ लोग बाजार में, कुछ हरदूध मेले में और बाकी घरों में थे।” गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा, “कम से कम 50-60 लोग लापता हैं और करीब 300-400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।”
पुलिस और प्रशासन का संयुक्त प्रयास:
बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी मलबा गिरने से रास्ता बंद है। 160 पुलिसकर्मी, 10 वरिष्ठ अधिकारी और 3 एसपी रैंक के अधिकारी राहत और वितरण कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
धराली गांव की स्थिति भयावह:
धराली गांव का 70-90% हिस्सा मलबे में दब चुका है। ऊंची इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं। महिलाएं गमगीन हैं, और गांव का हर निवासी सदमे में है। ‘हिमगिरि’ होटल संचालक संजय सिंह पंवार ने बताया कि उनका होटल बाढ़ में पूरी तरह बह गया।
उत्तरकाशी की यह आपदा न सिर्फ एक प्राकृतिक त्रासदी है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की गहरी परीक्षा भी है। राहत कार्य तेज़ी से चल रहे हैं, लेकिन दुर्गम इलाकों तक पहुंचने में बाधाएं अब भी बनी हुई हैं। प्रशासन और सेना की संयुक्त कोशिशों से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी।