द लोकतंत्र : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चार साल बाद भारत दौरे पर आगमन ने एक बार फिर दोनों देशों के सामरिक संबंधों को केंद्र में ला दिया है। पुतिन जिस विशेष विमान इल्यूशिन-96 (IL-96) से पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुए, वह न केवल तकनीकी सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि उस पर रूसी भाषा में लिखा शब्द ‘россия’ भी कूटनीतिक और सांस्कृतिक चर्चा का विषय बन गया है। अगले 30 घंटे तक पुतिन के भारत में रहने तक, यह विमान भी कड़ी सुरक्षा के घेरे में रहेगा।
‘россия’ का अर्थ और सिरिलिक लिपि की पहचान
विमान पर लिखा शब्द ‘россия’, दरअसल, रूसी भाषा में ‘रूस’ का अनुवाद है और यह सिरिलिक (Cyrillic) लिपि में लिखा गया है। यह लिपि पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के साहित्य और संस्कृति की आधारशिला मानी जाती है।
सिरिलिक एक व्यापक लेखन प्रणाली है, जिसका उपयोग रूसी, बुल्गेरियाई, सर्बियाई, यूक्रेनी, मैसेडोनियाई, कजाख, उज्बेक और मंगोलियाई समेत करीबन 50 देशों की भाषाओं को लिखने के लिए किया जाता है। इस लिपि को अज्बुका भी कहा जाता है।
इसकी वर्णमाला ग्रीक है, और इसका विकास 9वीं शताब्दी ईस्वी में प्रथम ब्लगेरियाई साम्राज्य में संत सिरिल और मेथोडियस के अनुयायियों ने स्लाव भाषाओं के लिए किया था।
सिरिलिक लिपि का सांस्कृतिक महत्व
सिरिलिक लिपि केवल एक लेखन प्रणाली नहीं है, बल्कि स्लाव संस्कृति और शिक्षा की विरासत का एक अटूट हिस्सा है।
इस लिपि के महत्व को दर्शाते हुए, प्रतिवर्ष 24 मई को सिरिलिक वर्णमाला दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो मुख्य रूप से बल्गेरियाई संस्कृति और शिक्षा को समर्पित है।
इसकी व्यापक स्वीकार्यता के कारण, सिरिलिक लिपि यूरोपीय संघ में आधिकारिक मान्यता प्राप्त लिपियों में शामिल है।
पुतिन के विमान पर अंकित यह शब्द न केवल रूसी पहचान को दर्शाता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि कैसे भाषाएं और लिपियां दुनिया के एक बड़े हिस्से की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक एकता को प्रतिनिधित्व करती हैं। इल्यूशिन-96 का भारत में आना दोनों देशों के गहरे राजनयिक और सामरिक संबंधों का प्रतीक है।

