द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में देशभर में चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसका पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और अब दूसरा चरण 12 राज्यों में शुरू होने जा रहा है। बिहार में यह प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू रूप से संपन्न हुई है, जिससे राज्य के नागरिकों में चुनाव आयोग के प्रति विश्वास बढ़ा है।
2002 की वोटर लिस्ट वालों को अब नहीं दिखाने होंगे नागरिकता के कागज़
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग का उद्देश्य देश की मतदाता सूची को अधिक सटीक और त्रुटिरहित बनाना है ताकि कोई भी पात्र नागरिक मतदान के अधिकार से वंचित न रहे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों का नाम वर्ष 2002 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज है, उन्हें अब नागरिकता साबित करने के लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे मतदाताओं को केवल गणना फॉर्म (Enumeration Form) के साथ उस वोटर लिस्ट की प्रति जमा करनी होगी जिसमें उनका नाम दर्ज है। यह फैसला उन परिवारों के लिए बड़ी राहत है जो लंबे समय से भारत में रह रहे हैं और पहले से मतदाता सूची में शामिल हैं।
हालांकि, जिन लोगों का नाम 2002 की सूची में नहीं है लेकिन उनके माता-पिता के नाम उस सूची में दर्ज हैं, उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए वैध आईडी प्रूफ (जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी या पैन कार्ड) के साथ माता-पिता के नाम का 2002 की वोटर लिस्ट से प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। वहीं, जिन व्यक्तियों या परिवारों का नाम 2002 की मतदाता सूची में बिल्कुल नहीं है, उन्हें नागरिकता सिद्ध करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट या अन्य सरकारी दस्तावेज़ देने होंगे।
सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर नागरिकता नहीं मानी जाएगी
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड केवल पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं, इसलिए सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर नागरिकता नहीं मानी जाएगी। इस पहल का मूल उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि मतदाता सूची को अद्यतन, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है। चुनाव आयोग का यह SIR अभियान इस सिद्धांत पर आधारित है, हर पात्र नागरिक का नाम, और हर फर्जी नाम का सफाया।

