द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : लद्दाख के जाने-माने पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA/रासुका) के तहत हुई गिरफ्तारी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने सर्वोच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर हिरासत को चुनौती दी है और तत्काल रिहाई की मांग की है।
दरअसल, 26 सितंबर को लद्दाख में हुए एक प्रदर्शन के बाद सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुआ था। प्रदर्शन हिंसक हो जाने के बाद प्रशासन ने वांगचुक को रासुका के तहत गिरफ्तार कर लिया और फिलहाल उन्हें राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है।
पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
गीतांजलि जे. अंगमो ने याचिका में कहा है कि वांगचुक की हिरासत गैरकानूनी और असंवैधानिक है। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 का उल्लंघन है। उन्होंने अदालत से मांग की है कि वांगचुक को कोर्ट में पेश किया जाए और उनके खिलाफ जारी हिरासत आदेश को रद्द किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्हें अपने पति से मिलने और फोन पर बात करने की अनुमति मिले।
याचिका की अन्य मांगें
याचिका में आरोप लगाया गया है कि वांगचुक को मनमाने ढंग से जोधपुर जेल भेज दिया गया और उन्हें जरूरी दवाइयां, कपड़े और आवश्यक सामान भी उपलब्ध नहीं कराया गया। साथ ही परिवार और वकील से मिलने का अवसर भी नहीं दिया गया। वांगचुक की पत्नी ने कहा कि उन्हें लेह में एक तरह से नजरबंद कर दिया गया है और उनके संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) के स्टाफ व छात्रों को परेशान किया जा रहा है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र और लद्दाख प्रशासन को निर्देश दे कि वांगचुक की हिरासत के आधार बताए जाएं और सारा रिकॉर्ड कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें दवाइयां, भोजन और आवश्यक सामान मिलते रहें।
आगे क्या होगा?
अब यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आ चुका है। लद्दाख में लंबे समय से राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकारों की मांग उठ रही है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने इस आंदोलन को और गरम कर दिया है। अदालत इस पर क्या फैसला लेती है, इस पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं।