द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले निलंबित वकील राकेश किशोर के खिलाफ बेंगलुरु पुलिस ने बुधवार (8 अक्टूबर 2025) को जीरो एफआईआर (Zero FIR) दर्ज की है। यह मामला ऑल इंडिया एडवोकेट्स एसोसिएशन की शिकायत पर दर्ज किया गया है। पुलिस ने इस एफआईआर को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 132 और 133 के तहत दर्ज किया है।
अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भक्तवचला की शिकायत पर की गई। शिकायत में कहा गया कि राकेश किशोर का यह कृत्य न्यायपालिका की गरिमा और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति असम्मान का प्रतीक है। एफआईआर में आरोप है कि आरोपी ने लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया, जो BNS की धारा 132 के तहत अपराध है, और साथ ही धारा 133 के तहत यह “किसी व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला” की श्रेणी में आता है।
क्या है जीरो एफआईआर?
जीरो एफआईआर (Zero FIR) का मतलब है ऐसी प्राथमिकी जिसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है, भले ही घटना उस थाना क्षेत्र की न हो। बाद में यह एफआईआर संबंधित थाना क्षेत्र में ट्रांसफर कर दी जाती है। यह प्रावधान इसलिए बनाया गया है ताकि किसी भी व्यक्ति को न्याय मिलने में देरी न हो।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद सोमवार (6 अक्टूबर) को तब शुरू हुआ जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि सुरक्षा कर्मियों ने तत्काल उन्हें रोक लिया। CJI गवई ने घटना के बावजूद पूरी शांति बनाए रखी और अदालत में मौजूद वकीलों से कहा, इन बातों से विचलित मत होइए, मुझ पर इनका कोई असर नहीं पड़ता। इसके तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने राकेश किशोर का वकालत लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सुभाष चंद्रन के.आर. ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के समक्ष एक आवेदन दायर कर वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा कि यह कृत्य ‘न्यायिक अधिकार को कम करने और न्याय प्रशासन में बाधा डालने’ का उदाहरण है, जो अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 के तहत दंडनीय है।
पंजाब में सोशल मीडिया पर बड़ी कार्रवाई
इस बीच, पंजाब पुलिस ने CJI जस्टिस गवई को निशाना बनाने वाली आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट्स पर सख्त कार्रवाई की है। पुलिस ने बताया कि 100 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।
इन पोस्ट्स में जातिवादी, नफरत भरी और भड़काऊ सामग्री पाई गई, जिसका उद्देश्य सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाना और न्यायपालिका के प्रति सम्मान को कम करना था। पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों को ‘संवैधानिक प्राधिकरण पर हमला’ और ‘लोक-दुराचार’ की श्रेणी में चिह्नित किया गया है।