द लोकतंत्र : बॉलीवुड से एक दुखद खबर सामने आई है। मशहूर अभिनेत्री संध्या शांताराम (Sandhya Shantaram) का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। रविवार को उनका अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित वैकुंट धाम में किया गया। उनकी मौत का असली कारण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह लंबे समय से बढ़ती उम्र के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रही थीं।
कौन थीं संध्या शांताराम?
संध्या शांताराम 1950 के दशक की जानी-मानी अभिनेत्री थीं। उन्हें उनकी अदाकारी और स्क्रीन प्रेजेंस के लिए खूब सराहा गया। हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। हालांकि उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा पहचान 1959 की फिल्म ‘नवरंग’ के मशहूर गाने ‘अरे जा रे हट नटखट’ से मिली।
क्यों खास है ‘अरे जा रे हट नटखट’?
यह गाना आशा भोंसले की आवाज़ में था और इसमें संध्या शांताराम के एक्सप्रेशन्स और अभिनय की खूब तारीफ हुई थी। गाने की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह आज भी होली जैसे त्योहारों पर बड़े उत्साह से बजाया जाता है और लोग इस पर झूमते हैं।
इस गाने की एक और खासियत यह है कि संध्या शांताराम ने इसकी कोरियोग्राफी खुद की थी। उन्होंने असली हाथी और घोड़े के बीच नृत्य किया था, जो उस समय एक साहसिक और अनोखा प्रयास था। उनके पति और मशहूर निर्देशक वी. शांताराम इस परफॉर्मेंस से बेहद प्रभावित हुए थे।
संध्या शांताराम का योगदान
संध्या शांताराम का करियर भले ही आज की पीढ़ी को ज्यादा याद न हो, लेकिन उनका योगदान हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर का एक अहम हिस्सा है। उनका काम हमेशा दर्शकों की यादों में जिंदा रहेगा। वह उन अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं जिन्होंने अपने दमदार अभिनय और अदाकारी से हिंदी सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी।
उनका गाना ‘अरे जा रे हट नटखट’ आज भी लोगों की जुबान पर है और यह आने वाले वर्षों तक उनके योगदान की याद दिलाता रहेगा।