द लोकतंत्र : ऋषभ शेट्टी की फिल्म ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है। रिलीज़ के 10 दिन पूरे होने के बाद भी फिल्म की रफ्तार धीमी पड़ने का नाम नहीं ले रही। शनिवार के वीकेंड में दर्शकों की भारी भीड़ सिनेमाघरों में उमड़ी और फिल्म की कमाई में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया।
10वें दिन की शानदार कमाई
सैक्निल्क की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने 10वें दिन (शनिवार) तक 37 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। इसी के साथ फिल्म का टोटल इंडिया कलेक्शन 396.65 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा अभी अस्थायी है और फाइनल रिपोर्ट आने पर इसमें मामूली बदलाव संभव है।
पहले हफ्ते में फिल्म ने 337.4 करोड़ रुपये की कमाई कर ली थी। दूसरे हफ्ते की शुरुआत में भी इसका प्रदर्शन लगातार मजबूत रहा। खास बात यह है कि 8वें दिन की तुलना में 9वें दिन फिल्म की कमाई में 5.20 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
‘कांतारा चैप्टर 1’ ने तोड़ा ‘दंगल’ का रिकॉर्ड
इस फिल्म ने आमिर खान की ब्लॉकबस्टर ‘दंगल’ का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 2016 में रिलीज हुई ‘दंगल’ ने भारत में सभी भाषाओं में मिलाकर 387.38 करोड़ रुपये कमाए थे। वहीं, ‘कांतारा चैप्टर 1’ ने 10वें दिन ही इस आंकड़े को पीछे छोड़ दिया।
हालांकि ‘दंगल’ का वर्ल्डवाइड लाइफटाइम कलेक्शन 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है, लेकिन इंडिया के घरेलू कलेक्शन में अब ‘कांतारा चैप्टर 1’ सबसे आगे निकल गई है।
125 करोड़ के बजट में बना 500 करोड़ क्लब का सदस्य
‘कांतारा चैप्टर 1’ का निर्माण केवल 125 करोड़ रुपये में किया गया था। इसके बावजूद फिल्म ने 9 दिनों में ही वर्ल्डवाइड 508 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। फिल्म में ऋषभ शेट्टी और रुक्मिणी वसंत मुख्य भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं।
फिल्म का निर्देशन खुद ऋषभ शेट्टी ने किया है, जो पहले ‘कांतारा’ के जरिए भी दर्शकों के दिलों में अपनी गहरी छाप छोड़ चुके हैं।
‘कांतारा चैप्टर 1’ क्यों है खास?
फिल्म की कहानी भारतीय संस्कृति, लोककथाओं और धार्मिक आस्थाओं को आधुनिक दृष्टिकोण से पेश करती है। शानदार सिनेमैटोग्राफी, लोक-संगीत और गहराई भरे संवादों ने इसे एक आध्यात्मिक अनुभव बना दिया है। यही वजह है कि दर्शक दोबारा सिनेमाघरों की ओर लौट रहे हैं।
‘कांतारा चैप्टर 1’ अब सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की नई उपलब्धि बन चुकी है। छोटे बजट में बनी इस फिल्म ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अच्छी कहानी और सच्चे अभिनय के सामने बड़े बजट की चमक भी फीकी पड़ जाती है।