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अभिनेता अभिनय का 44 वर्ष की आयु में निधन, धनुष की पहली फिल्म से किया था डेब्यू

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द लोकतंत्र : दक्षिण भारतीय सिनेमा से एक अत्यंत दुखद खबर सामने आई है। तमिल फिल्मों में सहायक भूमिकाओं के लिए पहचाने जाने वाले अभिनेता अभिनय का मात्र 44 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने सोमवार, 10 नवंबर को सुबह 4 बजे अंतिम साँस ली। उनके असामयिक निधन से तमिल सिनेमा में शोक की लहर दौड़ गई है, और यह घटना एक बार फिर फिल्म जगत के कलाकारों के स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा के मुद्दे को केंद्र में ले आई है।

पृष्ठभूमि: गंभीर बीमारी और संघर्ष की गाथा

अभिनेता अभिनय बीते कई दिनों से किडनी और लिवर संबंधी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु का प्राथमिक कारण गंभीर लिवर इंफेक्शन बताया जा रहा है। इलाज के दौरान ही उनकी हालत बिगड़ती चली गई। यह दुखद है कि अभिनय को अपनी बीमारी के इलाज के लिए भारी-भरकम खर्च उठाना मुश्किल हो रहा था। इस बुरे दौर में, उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक तौर पर मदद की गुहार लगानी पड़ी थी।

इंडस्ट्री से जुड़े कई कलाकारों ने उनकी सहायता के लिए हाथ बढ़ाया। इसमें सुपरस्टार धनुष भी शामिल थे, जिन्होंने उनकी पहली फिल्म के सह-कलाकार के तौर पर 5 लाख रुपये की महत्वपूर्ण वित्तीय मदद की थी। हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद अभिनेता को बचाया नहीं जा सका।

करियर की शुरुआत और सफर

अभिनय ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत वर्ष 2002 में तमिल सुपरस्टार धनुष के साथ फिल्म ‘थुल्लुवधो इलमई’ से की थी। इस फिल्म में धनुष और अभिनेत्री शेरिन लीड रोल में थे, लेकिन अभिनय को भी अपनी भूमिका के लिए पहचान मिली थी। इसके बाद उन्हें ‘जंक्शन’ (2002), ‘सिंगारा चेन्नई’ (2004) और ‘पोन मेघलाई’ (2005) जैसी फिल्मों में अहम किरदारों में देखा गया। हालांकि, समय के साथ उनका करियर मुख्य भूमिकाओं से हटकर सहायक भूमिकाओं तक सिमट गया था।

विशेषज्ञ राय: इंडस्ट्री में आर्थिक सुरक्षा का अभाव

इस घटना पर टिप्पणी करते हुए, फिल्म उद्योग के एक अनुभवी निर्माता और वित्तीय विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अभिनय का निधन केवल एक व्यक्तिगत क्षति नहीं है, बल्कि यह फिल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी समस्या को उजागर करता है। खासकर, सहायक भूमिकाएँ निभाने वाले या संघर्षरत कलाकारों के पास अक्सर नियमित आय और स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) जैसी बुनियादी सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है। एक गंभीर बीमारी आने पर उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। इंडस्ट्री को एक मजबूत वेलफेयर फंड और संगठित स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की तत्काल आवश्यकता है।”

सार्वजनिक निहितार्थ और भविष्य की आवश्यकता

अभिनय के निधन ने समाज और फिल्म जगत को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक ग्लैमरस दुनिया के पीछे किस तरह का संघर्ष छुपा हो सकता है। बीते एक महीने में एक दर्जन से अधिक कलाकारों का दुनिया छोड़ जाना यह दर्शाता है कि यह केवल एक इकलौती घटना नहीं है। यह आवश्यक है कि फिल्म उद्योग से जुड़ी संस्थाएँ और सरकार फ्रीलांस और गैर-स्थायी कलाकारों के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु नीतिगत कदम उठाएँ।

तमिल अभिनेता अभिनय का कम उम्र में निधन अत्यंत दुखद है। उनके जाने से सिनेमा जगत में एक शून्य पैदा हुआ है। यह घटना इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है कि कलाकारों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, ताकि किसी भी कलाकार को इलाज के लिए सोशल मीडिया पर मदद की गुहार न लगानी पड़े।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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