द लोकतंत्र : आप दुश्मनों से चाहे लड़ लें लेकिन परिवार में छिपे विभीषणों से आप नहीं लड़ सकते। भीतरघात की वजह से समाजवादी पार्टी को राज्यसभा चुनाव में अपनी एक सीट गँवानी पड़ गई। राज्यसभा चुनाव में आज भाजपा के सभी प्रत्याशी जीते वहीं समाजवादी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार आलोक रंजन को हार का मुंह देखना पड़ा।
बता दें, यूपी की 10 में से 8 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीत गये हैं। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशी अमरपाल मौर्य को 36 वोट, RPN सिंह को 34, साधना सिंह को 34, संगीता बलवंत बिंद को 36, सुधांशु त्रिवेदी को 38, तेजवीर सिंह को 38, नवीन जैन को 34 तो वहीं आठवें प्रत्याशी संजय सेठ को 29 वोट मिले। समाजवादी पार्टी से राज्यसभा उम्मीदवार रहीं जया बच्चन को 34 वोट, रामजी लाल सुमन को 34 वोट मिले। सपा के तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन हार गये।
राज्यसभा चुनाव में भीतरघात बना सपा की हार का कारण
मैनेजमेंट और अपने विधायकों से तालमेल न रखने की वजह से सपा जीती हुई बाज़ी हार गई। सपा के अपने विधायकों ने पार्टी को न सिर्फ़ धोखा दिया बल्कि राज्यसभा चुनाव में एक प्रत्याशी की हार की वजह भी बनें। जानकारी के मुताबिक़ सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी और मनोज पांडेय के अलावा दो अन्य विधायकों ने सपा को दगा दिया।
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वहीं, अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव के परिणाम को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, हमारी राज्यसभा की तीसरी सीट दरअसल सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा थी और ये जानने की कि कौन-कौन दिल से PDA के साथ और कौन अंतरात्मा से पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ है। अब सब कुछ साफ़ है, यही तीसरी सीट की जीत है।
दरअसल, यूपी की 10 राज्यसभा सीटों में 7 पर भाजपा और 3 पर सपा की जीत तय मानी जा रही थी। लेकिन, भाजपा ने आखिरी मौके पर संजय सेठ को अपना 8वां उम्मीदवार घोषित कर दिया। यहीं से संभावना जतायी जा रही थी कि राज्यसभा चुनाव में भीतरघात होगा और सपा का खेल उसके अपने ही विधायक बिगड़ेंगे। चुनाव से पहले सपा सुप्रिमो अखिलेश यादव ने विधायकों को डिनर पर बुलाया था जिसमें पार्टी के 7 विधायक नहीं पहुंचे थे।