द लोकतंत्र/ पटना : गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्णिया के बनमनखी में एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित रैली में महागठबंधन और उसके नेताओं पर तीखा हमला बोलते हुए चुनावी मोर्चा सजा दिया; शाह ने रैली में सीमांचल के मतदाताओं से डायरेक्ट सवाल करते हुए पूछा, क्या आप सीमांचल से घुसपैठियों को निकालना चाहेंगे या नहीं? और दावा किया कि एनडीए बिहार में 160 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाएगा।
राहुल-तेजस्वी घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं
अपने संबोधन में उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया कि वे घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं और कहा कि महागठबंधन का रुख सीमांचल को घुसपैठियों का अड्डा बनाना है; शाह ने यह भी जोड़ा कि एनडीए न केवल घुसपैठियों को हटाएगा बल्कि “जमीन अधिग्रहण की अवैधता” को भी जमींदोज कर देगा।
गृह मंत्री ने भावनात्मक भाषण में सीमांचल के स्थानीय हुए कथित आक्रोश और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उभारा, उन्हें ‘देश और विकास’ से जोड़ते हुए कहा कि मोदी-नीतीश नेतृत्व में बिहार विकास की राह पर है और जंगलराज लौटने का खतरा तब बढ़ जाएगा जब मतदाताओं ने सतर्कता नहीं बरती।
शाह ने अपने विरोधियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कुछ लोग ‘जंगलराज’ की वापसी चाहते हैं और इसीलिए एनडीए को मजबूत बहुमत दिलाना आवश्यक है। रैली के दौरान गृह मंत्री ने धार्मिक-ऐतिहासिक संदर्भों के जरिए स्थानीय नेताओं और जनसमूह को जोड़ने की कोशिश भी की और महर्षि मेंही व भोला पासवान शास्त्री जैसे नामों का हवाला देते हुए क्षेत्रीय भावनाओं को छुआ।
एनडीए जनता को गुमराह कर रही – विपक्ष
विपक्ष ने शाह के भाषण पर पलटवार करते हुए आरोपों को राजनीतिक नितांत सार्थक बताते हुए कहा कि सीमांचल जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सियासी कही जा रही बातें सामाजिक-सांप्रदायिक तनाव बढ़ा सकती हैं; महागठबंधन ने एनडीए पर विभाजनकारी राजनीति के लिए जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। चुनावी विश्लेषक इस प्रकार के बयान को मतदाताओं को भावनात्मक रूप से लामबंद करने की रणनीति मान रहे हैं, जबकि आलोचक कहते हैं कि तथ्यात्मक आधार और संवैधानिक प्रक्रिया पर ही सवाल उठना चाहिए।
बनमनखी रैली में शाह की ये टिप्पणियाँ और 160+ सीटों का दावा अब चुनावी बहस का केंद्र बन गई हैं और अगले कुछ दिनों में दोनों पक्षों की प्राथमिक प्राथमिकताओं- सुरक्षा, विकास व पहचान पर तीखी बहस जारी रहने की संभावना है।

