द लोकतंत्र: बिहार की राजनीति इस वक्त एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां मुख्यमंत्री पद की सबसे बड़ी दावेदारी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की है। लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे को आगे बढ़ाने के लिए हर राजनीतिक जतन किया है। यहां तक कि नीतीश कुमार से तेजस्वी को उत्तराधिकारी मानने की बात भी कहलवा चुके हैं। हालांकि, नीतीश ने महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद उस बयान को वापस ले लिया।
आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर माहौल इस समय तेजस्वी यादव के पक्ष में नजर आ रहा है, लेकिन चुनौतियों का अंबार भी उनके सामने है। अगर इस बार मौका चूक गया तो लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा रह सकता है। यही कारण है कि यह चुनाव उनके लिए “करो या मरो” जैसी स्थिति लेकर आया है।
लालू यादव की मौजूदगी बनी सबसे बड़ी ताकत
2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव को अकेले मैदान में उतरना पड़ा था क्योंकि लालू यादव उस वक्त रांची की जेल में सजा काट रहे थे। इस बार स्थिति अलग है। लालू यादव बिहार में मौजूद हैं और पूरे अनुभव और ताकत के साथ बेटे का साथ दे रहे हैं। यही तेजस्वी की सबसे बड़ी ताकत है।
साथ ही, रणनीतिकार संजय यादव भी अब केवल सोशल मीडिया तक सीमित नहीं हैं। वे गठबंधन की बैठकों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन लालू यादव की मौजूदगी का असर सबसे ज्यादा है क्योंकि गठबंधन के नेताओं पर उनका अतिरिक्त प्रभाव साफ नजर आता है।
नीतीश कुमार की थकान और बीजेपी की कमजोरी
तेजस्वी यादव के लिए अवसर इसलिए भी बड़ा है क्योंकि नीतीश कुमार पर उम्र और सत्ता-विरोधी लहर का असर दिख रहा है। लंबे समय से मुख्यमंत्री रहने के कारण जनता में असंतोष भी बढ़ा है। दूसरी ओर, बीजेपी अब तक बिहार में नीतीश के कद का कोई नेता खड़ा नहीं कर पाई है।
आंतरिक चुनौतियां बनी बाधा
हालांकि, तेजस्वी यादव के सामने केवल बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक चुनौतियां भी हैं। तेज प्रताप यादव को हल्के में लेना आसान नहीं है। भले ही उनका कोई मजबूत राजनीतिक आधार न हो, लेकिन लालू यादव के बड़े बेटे होने का असर पार्टी पर रहता है।
इसके अलावा, मीसा भारती भी सक्रिय राजनीति में हैं। अगर तेजस्वी किसी कारण से चुनाव हार जाते हैं, तो आरजेडी के भीतर नेतृत्व का सवाल खड़ा हो सकता है। परिवार के भीतर पॉवर बैलेंस पहले ही बिगड़ा हुआ है, जिसका संकेत रक्षाबंधन जैसे मौकों पर देखा जा चुका है।
तेजस्वी यादव के सामने मुख्यमंत्री बनने का यह सबसे बड़ा अवसर है। लालू यादव का अनुभव और समर्थन उनके साथ है, लेकिन विपक्षी दलों के साथ-साथ परिवार के भीतर भी राजनीति के कई समीकरण हैं। नतीजों के बाद बिहार की राजनीति किस दिशा में जाएगी, यह काफी हद तक तेजस्वी के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।