द लोकतंत्र/ लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (BSP) अपने संस्थापक मान्यवर कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर गुरुवार को राजधानी लखनऊ में एक भव्य रैली आयोजित करने जा रही है। यह कार्यक्रम पुरानी जेल रोड स्थित मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल पर होगा, जहां करीब 5 लाख कार्यकर्ताओं के जुटने की उम्मीद जताई जा रही है। पूरा परिसर नीले झंडों और पोस्टरों से सजा दिया गया है, जिससे माहौल पूरी तरह ‘बहुजनमय’ नजर आ रहा है।
मंच तैयार, बसपा करेगी शक्ति प्रदर्शन
कार्यक्रम को लेकर बसपा संगठन पूरी तरह सक्रिय है। मंच तैयार हो चुका है, कुर्सियों की कतारें लग चुकी हैं और जिलावार तथा विधानसभा स्तर पर जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं। स्मारक स्थल में मौजूद दो मूर्तियों, एक कांशीराम की और दूसरी मायावती की; को फूलों से सजाया गया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती गुरुवार सुबह करीब 9 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचेंगी। वे सबसे पहले कांशीराम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित करेंगी, इसके बाद मंच से कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगी। यह अवसर न सिर्फ कांशीराम को श्रद्धांजलि देने का होगा, बल्कि बसपा की भावी राजनीतिक रणनीति के संकेत देने का भी।
बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने बताया कि 2021 के बाद यह बहनजी का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि जनता आज भी 2007-2012 के शासन को याद करती है और मौजूदा सरकार से निराश है। उनके अनुसार, लोग चाहते हैं कि बहनजी 2027 में फिर सत्ता में लौटें। उन्होंने अन्य दलों द्वारा भी कांशीराम की पुण्यतिथि मनाए जाने पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग कभी कांशीराम के नाम से चिढ़ते थे, अब उनके नाम पर कार्यक्रम कर रहे हैं यह सिर्फ दिखावा है।
आकाश आनंद सहित मंच पर मौजूद रहेंगे दिग्गज नेता
सूत्रों के मुताबिक, इस बार रैली में मायावती नए अंदाज में नज़र आएंगी। वे करीब तीन घंटे तक मंच पर मौजूद रहेंगी, और उनके साथ भाई आनंद कुमार, भतीजे आकाश आनंद, तथा वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र सहित सात प्रमुख नेता मंच साझा करेंगे। रैली के बाद मायावती चुनिंदा कार्यकर्ताओं के साथ बंद कमरे में बैठक कर संगठन की ताकत और जमीनी हालात का फीडबैक लेंगी। माना जा रहा है कि यह रैली बसपा के लिए आने वाले चुनावों का टोन सेट कर सकती है।
इस बीच, लखनऊ की सड़कों पर ‘I Love BSP’ के पोस्टर और नीले झंडों की लहर दिख रही है। सोनभद्र, गोरखपुर, आजमगढ़ और कानपुर से हजारों कार्यकर्ता लखनऊ पहुंच चुके हैं। एक कार्यकर्ता ने कहा, हम मायावती के लिए आए हैं। 2027 में उन्हें मुख्यमंत्री बनाएंगे। सियासी पंडितों का कहना है कि यह रैली न केवल कांशीराम की विरासत को याद करने का प्रतीक है, बल्कि बसपा के लिए राजनीतिक पुनरुत्थान की शुरुआत भी मानी जा रही है।