द लोकतंत्र/ पटना : बिहार चुनाव का दूसरा और अंतिम चरण आज निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुका है। मंगलवार (11 नवंबर) को राज्य के 3.70 करोड़ से अधिक मतदाता 122 सीटों पर खड़े 1,302 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर रहे हैं। इस चरण में नीतीश मंत्रिमंडल के कई अनुभवी मंत्री भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला और दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण बन गया है।
पहले चरण में रिकॉर्ड 65% से अधिक मतदान हुआ था और अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या दूसरे चरण में भी जनता उसी उत्साह के साथ लोकतंत्र के इस पर्व में भागीदारी करेगी।
चार लाख से अधिक सुरक्षाकर्मियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है
दूसरे चरण में मतदान मुख्य रूप से बिहार के उन ज़िलों में हो रहा है जो नेपाल सीमा से सटे हुए हैं पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज। सीमावर्ती इलाकों को देखते हुए राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था में किसी प्रकार की ढील नहीं दी है और चार लाख से अधिक सुरक्षाकर्मियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है। चुनाव आयोग ने कुल 45,399 मतदान केंद्र बनाए हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण इलाकों में हैं।
सीमांचल में मुस्लिम वोट बैंक बनेगा ‘किंगमेकर’
इस चरण का सबसे महत्वपूर्ण पहलू सीमांचल का राजनीतिक समीकरण है। यह इलाका मुस्लिम आबादी के घनत्व के लिए जाना जाता है, इसलिए यहां के नतीजे सत्ता की दिशा तय करने में विशेष भूमिका निभाएंगे। महागठबंधन को अल्पसंख्यक वोट बैंक से गहरे समर्थन की उम्मीद है, जबकि एनडीए विपक्ष पर ‘घुसपैठियों की राजनीति’ करने का आरोप लगाकर ध्रुवीकरण की रणनीति अपनाने की कोशिश में दिख रहा है। साफ है कि इस चरण में मतों का गणित और भावनात्मक राजनीति दोनों अपना-अपना प्रभाव छोड़ने की कोशिश करेंगे।
दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
प्रतिष्ठित सीटों और दिग्गज नेताओं की उपस्थिति भी इस दौर को खास बनाती है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल से लगातार आठवीं जीत के प्रयास में हैं, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री प्रेम कुमार गया टाउन में अपनी लगातार आठवीं जीत की खोज में मैदान में हैं।
इनके अलावा रेनू देवी, लेशी सिंह, शीला मंडल और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद जैसे बड़े नाम भी आज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस और भाकपा (माले) भी अपने मजबूत गढ़ों को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की छह सीटों पर पड़ेंगे वोट
इस चरण में छोटे सहयोगी दलों की परीक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की छह सीटों पर आज वोट पड़ रहे हैं, जिनमें से कई सीटें मांझी परिवार से जुड़ी हैं। वहीं, राष्ट्रीय लोक मोर्चा पहली बार बड़े पैमाने पर चुनाव मैदान में उतरा है और इसके प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता समेत अन्य उम्मीदवार पहली बार अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। कई दलबदलू नेता भी इस चरण में वोट हासिल करने की कोशिश में हैं, जिनमें पूर्व राजद और कांग्रेस नेताओं के नाम प्रमुख हैं।
दूसरे चरण में महिला मतदाताओं की संख्या 1.75 करोड़ है और युवा मतदाताओं की भी अच्छी भागीदारी नजर आ रही है। अब देखना यह है कि सीमांचल का यह चुनावी तिलिस्म किस राजनीतिक गठबंधन के पक्ष में खुलता है और बिहार की सत्ता की चाबी किसके हाथ जाती है।

