द लोकतंत्र / दिल्ली : वीर सावरकर को लेकर दिए गए पुराने बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत तो मिल गई है, लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें कड़ी नसीहत भी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ कोर्ट से जारी समन पर रोक लगाते हुए साफ कहा कि भविष्य में अगर राहुल गांधी ने ऐसा कोई गैर-जिम्मेदाराना बयान दोहराया, तो कोर्ट स्वत: संज्ञान लेगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी को आगाह करते हुए कहा, आप महाराष्ट्र में गए और ऐसा बयान दे दिया, जहां लोग वीर सावरकर की पूजा करते हैं। आपकी दादी इंदिरा गांधी ने भी सावरकर की प्रशंसा करते हुए चिट्ठी लिखी थी। क्या अब आप महात्मा गांधी को भी अंग्रेजों का नौकर कहेंगे, क्योंकि उन्होंने ‘योर फेथफुल सर्वेंट’ लिखा था?
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बता दें, यह टिप्पणी 2022 में महाराष्ट्र के अकोला में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दी गई थी, जहां राहुल गांधी ने सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ कहा था और दावा किया था कि वे ब्रिटिश सरकार से पेंशन लेते थे। राहुल गांधी की ओर से अदालत में पेश वकील ने कहा कि बयान का उद्देश्य किसी को उकसाना नहीं था, लेकिन कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर उद्देश्य उकसाना नहीं था, तो फिर ऐसा बयान क्यों दिया गया?
शीर्ष अदालत ने यह भी दोहराया कि स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह मामला एडवोकेट नृपेंद्र पांडेय की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि यह बयान जानबूझकर वीर सावरकर को अपमानित करने की एक सुनियोजित साजिश थी।