द लोकतंत्र/ पटना : बिहार चुनाव 2025 में RJD की करारी हार के बाद पार्टी से ज्यादा लालू परिवार के भीतर तनाव बढ़ गया है। नतीजे आने के कुछ ही घंटों के भीतर परिवार में ऐसा विवाद फूटा कि माहौल पूरी तरह भावुक और तनावपूर्ण हो गया। सूत्रों के मुताबिक, घर में हुई एक बड़ी बहसबाजी के दौरान तेजस्वी यादव ने अपनी बहन रोहिणी आचार्य पर चुनावी हार का ठीकरा फोड़ते हुए कहा, तुम तो बहुत खुश हो रही होगी, जो तुम चाहती थी वो हो गया।
यह सुनते ही रोहिणी भड़क उठीं और जवाब दिया, घर की बेटी का ऐसे अपमान करोगे तो मेरी बद्दुआ लगेगी तुम्हें… और देखना ये बद्दुआ लगेगी। विवाद इतना तीखा हो गया कि रोहिणी देर रात आंसुओं के साथ राबड़ी आवास छोड़कर चली गईं।
मेरा कोई परिवार नहीं है… मुझे ही परिवार से बाहर कर दिया गया
चुनाव प्रचार से लेकर रणनीति तक, इस लड़ाई के कई पहलू हैं। रोहिणी सिंगापुर से पटना प्रचार में हिस्सा लेने आई थीं, लेकिन उन्हें सीमित कार्यक्रम मिले। सारण जैसे अहम क्षेत्र में भी उन्हें सिर्फ एक दिन, वह भी अखिलेश यादव की रैली के दौरान बुलाया गया। पहले से ही उपेक्षा महसूस कर रहीं रोहिणी को जब तेजस्वी ने हार का जिम्मेदार ठहराया, तो मामला भड़क गया।
पटना एयरपोर्ट पर रोहिणी ने मीडिया से कहा, मेरा कोई परिवार नहीं है… मुझे ही परिवार से बाहर कर दिया गया। उनकी भावुकता से साफ झलक रहा था कि विवाद सिर्फ राजनीतिक नहीं, व्यक्तिगत स्तर पर भी गहरा था।
तेजस्वी के भरोसेमंद सहयोगी संजय यादव और रमीज विवाद के केंद्र में
गौर करने वाली बात है कि यह पूरा विवाद परिवार की मौजूदगी में हुआ। बहस के समय घर में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेज प्रताप, रेचल सहित पूरा परिवार मौजूद था। जब रोहिणी आवास छोड़कर निकलीं, तो लालू और राबड़ी दोनों बेहद भावुक दिखे। परिवार की बाकी बहनें भी रोहिणी के पक्ष में थीं, जिससे घर के भीतर गहरी खाई और स्पष्ट दिखने लगी।
तेजस्वी के भरोसेमंद सहयोगी संजय यादव और रमीज भी विवाद में घिर गए हैं। रोहिणी ने दोनों पर माहौल बिगाड़ने, परिवार में हस्तक्षेप करने और निर्णयों को प्रभावित करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी से सवाल पूछोगे तो गाली दी जाएगी, चप्पल से मारा जाएगा। लालू परिवार में आंतरिक तनाव पहले भी सामने आ चुका है।
इसी साल मई में तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार दोनों से बाहर किया गया था और तब भी आरोपों की आंच संजय यादव तक पहुंची थी। लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर इसलिए माना जा रहा है क्योंकि RJD की चुनावी हार ने राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया है और परिवारिक कलह ने पार्टी की कमजोर होती एकजुटता को खुलकर उजागर कर दिया है। बिहार की राजनीति में RJD पहले ही कठिन दौर से गुजर रही है, अब पारिवारिक विवाद ने नई चुनौती पैदा कर दी है जो आने वाले समय में पार्टी की दिशा और नेतृत्व की विश्वसनीयता दोनों को प्रभावित कर सकता है।

