द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गए हैं। सोमवार (15 दिसंबर 2025) को आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान एक नवनियुक्त आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन का कथित रूप से नकाब (हिजाब) हटाने का मामला अब कानूनी मोड़ लेता दिख रहा है। इस घटना को लेकर बेंगलुरु के वकील ओवैज हुसैन एस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज करने और वैधानिक कार्रवाई की मांग करते हुए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक महिला के साथ बिना सहमति शारीरिक हस्तक्षेप, महिला की मर्यादा भंग करने, सार्वजनिक अपमान, धार्मिक गरिमा के उल्लंघन और यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आने वाले आचरण जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वकील का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति या घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे महिलाओं की गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े संवैधानिक अधिकारों पर सवाल खड़े होते हैं।
वीडियो के आधार पर शिकायत
शिकायतकर्ता ओवैज हुसैन के अनुसार, इस घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुआ, जिसे बेंगलुरु समेत देश के अन्य हिस्सों में भी देखा गया। वकील का दावा है कि वीडियो में दिखाई देने वाला दृश्य न केवल संबंधित महिला डॉक्टर की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि पूरे महिला समाज और अल्पसंख्यक समुदाय की भावनाओं को भी आहत करता है।
इसी आधार पर उन्होंने कर्नाटक राज्य पुलिस के डीजीपी और पुलिस महानिरीक्षक, बेंगलुरु पुलिस आयुक्त, कर्नाटक राज्य महिला आयोग, कर्नाटक राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग को शिकायत सौंपी है।
जीरो FIR और निष्पक्ष जांच की मांग
शिकायतकर्ता ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जीरो एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की है। उनका कहना है कि चूंकि मामला एक सार्वजनिक पद पर बैठे संवैधानिक पदाधिकारी से जुड़ा है, इसलिए इसकी जांच में किसी भी तरह की ढिलाई लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ होगी। फिलहाल संबंधित किसी भी आयोग या पुलिस विभाग की ओर से इस शिकायत पर आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
क्या है पूरा विवाद
दरअसल, यह पूरा मामला बिहार सचिवालय संवाद में आयोजित एक कार्यक्रम से जुड़ा है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक हजार से अधिक आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र सौंपे। इनमें 685 आयुर्वेद, 393 होम्योपैथी और 205 यूनानी पद्धति के डॉक्टर शामिल थे। कार्यक्रम में 10 चयनित अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री ने मंच से स्वयं नियुक्ति पत्र दिए।
इसी दौरान जब नुसरत परवीन नाम की नवनियुक्त डॉक्टर मंच पर नियुक्ति पत्र लेने पहुंचीं, तो मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर नाराजगी जताते हुए कहा, यह क्या है? और फिर उनके चेहरे से हिजाब हटा दिया। इस अचानक हुई घटना से डॉक्टर घबरा गईं, जिसके बाद वहां मौजूद एक अधिकारी ने उन्हें तुरंत एक ओर कर दिया। वीडियो में यह भी देखा गया कि मुख्यमंत्री के बगल में खड़े उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी उन्हें रोकने की कोशिश में उनकी आस्तीन खींचते नजर आए।
बढ़ता राजनीतिक और सामाजिक विवाद
इस घटना के सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां कुछ लोग इसे अनुचित और अपमानजनक बता रहे हैं, वहीं कुछ समर्थक इसे गलत तरीके से पेश किए जाने का दावा कर रहे हैं। हालांकि, कानूनी शिकायत दर्ज होने के बाद यह मामला अब केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि संवैधानिक और कानूनी बहस का विषय बन गया है।
आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि संबंधित एजेंसियां इस शिकायत पर क्या कदम उठाती हैं और क्या इस मामले में कोई औपचारिक जांच शुरू होती है। फिलहाल, यह विवाद बिहार की राजनीति और राष्ट्रीय स्तर पर महिला अधिकारों व धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी चर्चा को और तेज कर चुका है।

