द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच बीते चार दिनों से जारी सैन्य तनाव के बाद आखिरकार रविवार को सीजफायर की घोषणा कर दी गई। इस अप्रत्याशित ऐलान की जानकारी सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के ज़रिए दी। इसके कुछ समय बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की। हालांकि, सीजफायर की आधिकारिक घोषणा पहले अमेरिका द्वारा किए जाने को लेकर भारत में सियासी घमासान शुरू हो गया है।
विपक्ष का तीखा हमला: मोदी नहीं, ट्रंप ने बताया
सीजफायर को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया कि देश को यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या रक्षा मंत्रालय की ओर से क्यों नहीं दी गई? उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैग करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, हमारे BSF जवान पूर्णम साहू को पाकिस्तानी कैद से कब रिहा किया जाएगा?
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ज्ञात हो कि 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर के पास सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम साहू को पाकिस्तान रेंजर्स ने उस वक्त हिरासत में ले लिया था जब वह गलती से सीमा पार कर गए थे। बीएसएफ भारत-पाक सीमा की रक्षा करने वाली प्रमुख फोर्स है, जो 3,323 किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर तैनात है।
तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर कांग्रेस का सवाल
सीजफायर की घोषणा को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है कि क्या भारत ने कश्मीर मामले पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार कर लिया है? कांग्रेस ने इसे ‘कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण’ करार देते हुए आलोचना की। पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने इसे “अभूतपूर्व स्थिति” बताते हुए कहा कि इस प्रकार की घोषणा का अधिकार केवल भारत सरकार का है, न कि किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का।
उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री को खुद इन हालातों पर विपक्षी दलों के साथ चर्चा करनी चाहिए और इसके लिए संसद का विशेष सत्र या सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अब तक प्रधानमंत्री कार्यालय या रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई विस्तृत बयान नहीं आया है। वहीं सोशल मीडिया पर लोगों ने भी इस बात को लेकर सवाल उठाए हैं कि क्या भारत की विदेश और सुरक्षा नीति पर अमेरिका की सीधी भूमिका स्वीकार की जा रही है।