द लोकतंत्र/ लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक नया मुद्दा गरमा गया है। समाजवादी पार्टी के ‘DNA’ विवाद ने सूबे का सियासी पारा बढ़ा दिया है। इस विवाद की शुरुआत उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के एक बयान से हुई, जिसमें उन्होंने समाजवादी पार्टी के ‘राजनीतिक DNA’ पर सवाल उठाया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई और अब यह बहस राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन चुकी है।
डिप्टी सीएम बोले – पर्चा राजनीतिक विज्ञान का था और आपने जवाब होम साइंस वाली
ब्रजेश पाठक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक लंबी पोस्ट जारी कर समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने लिखा, मैंने तो आपकी पार्टी के DNA पर सवाल किया था। अगर आपके पास कोई जवाब नहीं है तो क्षमा मांग लीजिए और बात खत्म कीजिए। उन्होंने अखिलेश यादव द्वारा जारी की गई प्रतिक्रिया को ‘थीसिस’ करार देते हुए कहा कि वह बच्चों से लिखवाई गई लगती है और उसे पोस्ट करने से पहले पढ़ना चाहिए था। उन्होंने चुटकी लेते हुए लिखा, पर्चा राजनीतिक विज्ञान का था और आपने जवाब होम साइंस वाली कुंजी से दे दिया।
ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के अतीत को निशाने पर लेते हुए कहा कि इस पार्टी के DNA की परतें जैसे ही खुलती हैं, तो अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफियाओं की परछाइयाँ उभर आती हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुजफ्फरनगर दंगे, राममंदिर कारसेवकों पर गोलीकांड, गोमती रिवर फ्रंट घोटाला, और खनन घोटाले जैसी घटनाएं समाजवादी पार्टी के राजनीतिक इतिहास का हिस्सा रही हैं।
अखिलेश चाहें तो किसी दिन जनता दर्शन में आ जायें – ब्रजेश पाठक
डिप्टी सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि अगर अखिलेश यादव चाहें तो वह समाजवादी पार्टी के DNA पर एक थीसिस बनवाकर उन्हें भेज सकते हैं ताकि वे समय-समय पर उसका अध्ययन कर आत्ममंथन कर सकें। ब्रजेश पाठक ने यह भी कहा कि अगर अखिलेश यादव उनके स्वास्थ्य विभाग की स्थिति जानना चाहते हैं तो वे किसी दिन जनता दर्शन में आ सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि वे रोज़ाना सैकड़ों लोगों से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे अखिलेश को समाजवादी पार्टी के दौर की एंबुलेंस सेवा की सैर भी कराएंगे, जिसे लेकर खुद समाजवादी पार्टी के मंत्री भी नाखुश रहते थे।
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इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि ‘DNA’ को लेकर शुरू हुई यह बहस अब एक गहरी राजनीतिक लड़ाई का रूप ले चुकी है। ब्रजेश पाठक लगातार समाजवादी पार्टी के ‘राजनीतिक चरित्र’ पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव की ओर से भी पलटवार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आने वाले दिनों में यह जुबानी जंग आने वाले दिनों में और तेज़ हो सकती है।