द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : जन-सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने एक बार फिर बीजेपी नेताओं को निशाने पर लिया और कहा कि कुछ नेताओं ने उनके धन की स्रोत पर सवाल उठाए। पीके ने स्पष्ट किया कि जो लोग पैसे के स्रोत के बारे में सवाल उठाते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि यह नैतिक जिम्मेदारी है और उन्हें पारदर्शिता के साथ जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा, बिहार के चोर नेताओं को हर किसी का पैसा चोर ही नजर आता है, लेकिन हमारे पास हर पैसे का हिसाब है।
प्रशांत किशोर ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में उन्होंने कुल 241 करोड़ रुपये फीस के तौर पर लिए, जिसमें से 18 प्रतिशत GST और करीब 20 करोड़ रुपये इनकम टैक्स के रूप में भारत सरकार को दिए गए। उन्होंने आगे कहा कि 98 करोड़ रुपये उन्होंने दान कर दिए। पीके ने कहा, हम चोर नहीं हैं। पैसा मिला, उसका हिसाब-किताब किया, कर भरा और बचे हुए पैसे को दान किया।
नवयुगा कंस्ट्रक्शन और अन्य स्रोतों का खुलासा
प्रशांत किशोर ने उदाहरण देते हुए बताया कि नवयुगा कंस्ट्रक्शन से उन्हें सलाह के बदले 11 करोड़ रुपये मिले और किसी प्रोडक्ट लॉन्च पर दो घंटे की सलाह देने के लिए अतिरिक्त राशि मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि अशोक चौधरी ने भी वित्तीय गड़बड़ी की, जबकि उनके और पीके के मामले में गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। पीके ने यह भी कहा कि वैभव विकास ट्रस्ट के 100 करोड़ रुपये के स्रोत पर कई उच्च अधिकारियों के परिवार की महिलाएं शामिल हैं।
सम्राट चौधरी और अन्य गंभीर आरोप
पीके ने सम्राट चौधरी पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि 1995 में तारापुर में हुई सात हत्याओं के मामले में सम्राट को नाबालिग बताकर राहत दी गई थी, जबकि 2020 के एफिडेविट में उनकी उम्र अलग बताई गई। पीके ने कहा कि जेल से फर्जी डॉक्यूमेंट निकालकर उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया, और दो-तीन दिनों में वे राज्यपाल के पास जाकर बर्खास्तगी की मांग करेंगे, आवश्यकता पड़ने पर कोर्ट भी जाएंगे।
बेनामी संपत्ति और न्याय की मांग
प्रशांत किशोर ने चेतावनी दी कि यदि अशोक चौधरी 500 करोड़ की बेनामी संपत्ति सात दिन के भीतर सार्वजनिक नहीं करते, तो वह इसे कैमरे के सामने जारी करेंगे। उन्होंने शिल्पी गौतम रेप और हत्या मामले का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें सम्राट चौधरी का रोल भी स्पष्ट होना चाहिए। पीके ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य बिहार में व्यवस्था सुधारना है, लूटना नहीं। उन्होंने जनता और प्रशासन से आग्रह किया कि सभी गंभीर आरोपों की जांच की जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने न केवल राजनीतिक आरोपों का सामना किया, बल्कि बिहार में नैतिकता, पारदर्शिता और न्याय की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। उनके इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है और जन-सुराज अभियान को और सशक्त किया है।