द लोकतंत्र/ पटना : जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला उनकी राजनीतिक बयानबाज़ी का नहीं, बल्कि दो राज्यों की वोटर लिस्ट में उनका नाम दर्ज होने का है। बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों जगह एक साथ मतदाता के रूप में पंजीकरण पर अब चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर तीन दिनों में जवाब मांगा है। वहीं, प्रशांत किशोर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए चुनाव आयोग से सीधा सवाल किया है कि अगर गलती है तो अरेस्ट कर लो, हम देख लेंगे।
हम 2019 से अपने गांव कोनार के वोटर हैं – प्रशांत किशोर
दरअसल, बिहार के अररिया में मंगलवार (28 अक्टूबर) को मीडिया से बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव आयोग को पहले यह बताना चाहिए कि जब बिहार में SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया चलाई गई थी, तब उनका नाम क्यों नहीं काटा गया। उन्होंने कहा, हम 2019 से अपने गांव कोनार के वोटर हैं। बीच में दो साल कोलकाता में रहते हुए वहां के वोटर बने थे। अगर SIR से वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण हुआ है, तो फिर ये गलती कैसे रह गई? उन्होंने कहा कि आयोग ने केवल ‘गीदड़भभकी’ देने के लिए नोटिस भेजा है।
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रशांत किशोर का नाम बिहार के रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र के अलावा पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में भी दर्ज है। पश्चिम बंगाल में उनका पता 121, कालीघाट रोड, यानी तृणमूल कांग्रेस मुख्यालय के रूप में दर्ज है। यही पता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र का भी है। इस दोहरे नामांकन को लेकर सासाराम निर्वाचन अधिकारी ने किशोर को नोटिस जारी किया है और तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत नहीं हो सकता
कानूनी प्रावधानों की बात करें तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के अनुसार, कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत नहीं हो सकता। वहीं, धारा 18 एक ही क्षेत्र में एक से ज़्यादा प्रविष्टियों पर रोक लगाती है। अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई मतदाता निवास बदलता है, तो उसे Form-8 भरकर अपने नाम का स्थानांतरण कराना आवश्यक होता है। यही प्रक्रिया प्रशांत किशोर के मामले में सवालों के घेरे में है।
चुनावी रिकॉर्ड बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर का मतदान केंद्र सेंट हेलेन स्कूल, बी रानीशंकरी लेन, कोलकाता में है। 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान वे तृणमूल कांग्रेस के रणनीतिक सलाहकार भी रहे थे। वहीं, बिहार में उनका नाम मध्य विद्यालय, कोनार के मतदान केंद्र पर पंजीकृत है। चुनाव आयोग का कहना है कि यह मामला SIR प्रक्रिया के दौरान सामने आए दोहरे नामांकन की जांच का हिस्सा है।
जन सुराज बिहार के लिए एक ‘वास्तविक विकल्प’
प्रशांत किशोर ने इस अवसर पर बिहार की राजनीति और मुस्लिम वोटर्स पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने अब तक मुसलमानों को ‘सांत्वना की राजनीति’ के सिवा कुछ नहीं दिया। उनके मुताबिक, मुसलमान अगर मुफ्त में लालटेन में किरोसिन तेल बनकर जलते रहेंगे तो न भागीदारी मिलेगी, न बदलाव। उन्होंने कहा कि अब जन सुराज बिहार के लिए एक ‘वास्तविक विकल्प’ बन चुका है, जो 30 साल से चली आ रही ‘राजनीतिक बंधुआगिरी’ को समाप्त करेगा।
यह पूरा विवाद अब केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक बहस का विषय भी बन गया है। जहां चुनाव आयोग इसे कानूनी प्रक्रिया और पारदर्शिता से जोड़कर देख रहा है, वहीं प्रशांत किशोर इसे राजनीतिक दबाव और ‘भय की राजनीति’ करार दे रहे हैं। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि आने वाले तीन दिनों में पीके का जवाब क्या होता है और क्या यह मामला SIR की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करेगा।

