द लोकतंत्र: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सूबे की सियासत पूरी तरह गरमा गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद प्रमुख तेजस्वी यादव की अगुवाई में निकाली जा रही ‘वोट अधिकार यात्रा’ ने विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक को नई ताकत दी है। यह यात्रा न केवल मतदाता अधिकारों पर जोर दे रही है बल्कि बीजेपी और चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए विपक्षी एकजुटता का भी बड़ा संदेश दे रही है।
विपक्ष का कारवां सड़कों पर
यह यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई और 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में समाप्त होगी। अब तक यह यात्रा औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया और अररिया जिलों से गुजर चुकी है। हर जगह बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे “वोट चोरी के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन” बताया है।
प्रियंका गांधी का बिहार दौरा
इस यात्रा में प्रियंका गांधी की एंट्री को खास रणनीति माना जा रहा है। उनका कार्यक्रम मिथिला क्षेत्र में चौरचन और हरितालिका तीज के दिन रखा गया है। यह पर्व महिलाओं से जुड़ा है और माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी महिला वोटरों को साधकर जेडीयू-बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश करेंगी।
दक्षिण से उत्तर तक विपक्षी नेता
बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार यात्रा में शामिल होंगे। वहीं, 30 अगस्त को सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी इसमें शिरकत करेंगे। यूपी से सटे जिलों में उनकी मौजूदगी विपक्ष को मजबूती देगी।
स्टालिन और सिद्धारमैया सामाजिक न्याय और ओबीसी राजनीति के पैरोकार माने जाते हैं। बिहार की राजनीति में दलित और पिछड़ा वर्ग अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में उनका बिहार आना विपक्षी रणनीति का अहम हिस्सा है।
राहुल-तेजस्वी-अखिलेश की तिकड़ी
लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के साथ कामयाब रही राहुल-अखिलेश की जोड़ी अब तेजस्वी के साथ मिलकर बिहार में भी वही रणनीति दोहराने की कोशिश करेगी। यह तिकड़ी महागठबंधन के लिए ‘सियासी संजीवनी’ कही जा रही है।
चुनाव आयोग और विपक्ष का टकराव
इंडिया ब्लॉक लगातार चुनाव आयोग पर मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का कहना है कि बड़ी संख्या में गरीब, दलित और अल्पसंख्यक वोटरों के नाम काटे गए हैं। इस मुद्दे को उठाने के लिए ही यात्रा का रूट तैयार किया गया, जिससे अधिकतम जिलों को कवर किया जा सके।
सियासी संदेश और भीड़ का जोश
राहुल-तेजस्वी की यात्रा अब महज एक रैली नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में विपक्ष की ताकत दिखाने का मंच बन चुकी है। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, विपक्षी नेताओं की मौजूदगी और जनता की भीड़ इसे चुनाव से पहले एक बड़े आंदोलन में बदलती जा रही है।