द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार झेलने के बाद राजद (RJD) सिर्फ राजनीतिक मोर्चे पर ही नहीं, पारिवारिक मोर्चे पर भी गहरे संकट में घिर गई है। नतीजों के अगले ही दिन लालू प्रसाद यादव का परिवार खुलेआम दो धड़ों में बंटा दिखा। पहले रोहिणी आचार्य ने राजनीति और परिवार दोनों से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया, अब बड़े बेटे तेज प्रताप यादव उनकी खुलकर पैरवी में उतर गए हैं। तेज प्रताप ने RJD के अंदर मौजूद कथित ‘जयचंदों’ को सीधी चेतावनी देकर लालू परिवार की अंदरूनी जंग को और उग्र बना दिया है।
मेरे साथ जो हुआ, सह गया… लेकिन मेरी बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं
तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, कल की घटना ने दिल को हिला दिया है। मेरे साथ जो हुआ, सह गया… लेकिन मेरी बहन के साथ जो अपमान हुआ, वह बर्दाश्त नहीं। सुन लो जयचंदो, परिवार पर वार करोगे तो बिहार की जनता तुम्हें माफ नहीं करेगी। तेज प्रताप यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि रोहिणी के ‘चप्पल उठाने’ जैसी अपमानजनक बातों ने उनके अंदर आग भर दी है। जब जनमानस की भावनाएँ आहत होती हैं तो बुद्धि पर पड़ा पर्दा हट जाता है। तेजस्वी की बुद्धि पर भी इन चंद चेहरों ने परदा डाल दिया है।
तेज प्रताप ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने पिता और RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से सीधी मांग की। तेजप्रताप ने कहा – पिता जी, एक इशारा दीजिए… फिर देखिए बिहार की जनता कैसे इन जयचंदों को जमीन में गाड़ देती है। यह लड़ाई सिर्फ पार्टी की नहीं, परिवार की बेटी के सम्मान और बिहार के स्वाभिमान की लड़ाई है।
तेजप्रताप संजय यादव को लगातार ‘जयचंद’ बताते रहे हैं
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि और भी दिलचस्प है। तेज प्रताप को इसी साल लालू प्रसाद ने पार्टी और घर दोनों से बाहर कर दिया था। इसके बाद तेज प्रताप ने अपनी नई पार्टी बनाई, चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। तभी से वे तेजस्वी के चारों तरफ मौजूद लोगों, खासकर संजय यादव पर तीखे हमले बोल रहे हैं। संजय यादव को वे लगातार ‘जयचंद’ बताते रहे हैं और दावा करते रहे हैं कि वही RJD में फूट और गुटबाजी की जड़ हैं।
यह वही नाम है जिस पर पहले RJD नेता मदन शाह भी हमला कर चुके थे। टिकट कटने के बाद उन्होंने कहा था कि RJD 25 सीटों पर सिमट जाएगी, और ठीक चुनाव परिणाम में ऐसा ही हुआ। अब तेज प्रताप की आग उगलती बयानबाज़ी ने संकेत दे दिया है कि RJD का अंदरूनी विस्फोट सिर्फ चुनावी हार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि संगठन के भविष्य को भी हिला सकता है।

