द लोकतंत्र/ नई दिल्ली : 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। देशभर में धार्मिक आस्थाओं का माहौल बनता जा रहा है। इस बीच ज्योतिष पीठाधीश्वर और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कांवड़ यात्रियों और सनातन धर्म के अनुयायियों को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने न केवल धार्मिक रीति-नीति पर विस्तार से बात की बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी सनातनियों के रुख को स्पष्ट कर दिया है।
कांवड़ यात्रा नियमबद्ध साधना और तपस्या का प्रतीक
शंकराचार्य ने कांवड़ यात्रा के धार्मिक स्वरूप को समझाते हुए कहा कि यह यात्रा केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि यह नियमबद्ध साधना और तपस्या का प्रतीक है। उन्होंने कहा, पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर ‘हिंदू भोजनालय’ जैसे बोर्ड लगाने को लेकर मुझसे पूछा गया था। धार्मिक दृष्टिकोण से मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो भी व्यक्ति धार्मिक दीक्षा लेकर कांवड़ यात्रा करता है, उसे जीवन के कुछ कठोर नियमों का पालन करना होता है जैसे नंगे पैर चलना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, झूठ न बोलना, फलाहार करना, और विशिष्ट वस्त्र धारण करना।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सनातन धर्म में पका हुआ भोजन खरीदने की परंपरा नहीं है, यह एक पश्चिमी संस्कृति से आई प्रथा है। सनातन संस्कृति में कच्चे माल की खरीद और बिक्री को ही पवित्र माना गया है, पका हुआ भोजन बाजार से खरीदना धर्मशास्त्रों के अनुसार अनुचित है। उनका यह कथन धार्मिक अनुशासन को पुनः स्थापित करने की एक गंभीर कोशिश माना जा रहा है।
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शंकराचार्य ने अपनी बातों को केवल धार्मिक दायरे तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी एक अहम घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सनातन धर्म के अनुयायी अब केवल उन्हीं उम्मीदवारों को वोट देंगे जो ‘गौ रक्षा और गौ कल्याण’ के लिए प्रतिबद्ध होंगे। उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि धर्मनिष्ठ मतदाता अपनी आस्था के अनुसार जनप्रतिनिधि चुनें। उन्होंने कहा, हमने तय किया है कि चाहे कोई भी चुनाव हो, हम केवल उन्हीं को वोट देंगे जो गाय के लिए खड़े होंगे। हर विधानसभा क्षेत्र से ऐसे उम्मीदवार सामने आएँगे और हम उनकी सूची भी जारी करेंगे।