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Shuvendu Adhikari: शुभेंदु अधिकारी के काफिले पर हमला, TMC कार्यकर्ताओं ने किया विरोध प्रदर्शन

द लोकतंत्र: पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राज्य में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के काफिले पर मंगलवार को हमला हुआ है। यह घटना कूचबिहार जिले के खागड़ाबाड़ी इलाके में उस वक्त हुई जब शुभेंदु अधिकारी किसी कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे। वीडियो फुटेज और चश्मदीदों के अनुसार, टीएमसी समर्थकों ने उनके काफिले को काले झंडे दिखाए, “चोर-चोर” के नारे लगाए और कुछ वाहनों पर डंडों और चप्पलों से हमला किया।

वीडियो में दिखा हंगामा, पुलिस रही निष्क्रिय
घटना के वायरल हुए वीडियो में यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि सैकड़ों तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए और अधिकारी के काफिले को रोकने की कोशिश की। काफिले के कई वाहनों को घेर लिया गया और उनके शीशों पर चप्पलें मारी गईं। कुछ समर्थकों ने डंडों से हमले की भी कोशिश की। इस दौरान वहां पुलिस की मौजूदगी भी देखी गई, लेकिन उन्होंने तत्काल कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

जब स्थिति बिगड़ती नजर आई, तो काफिले में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने खुद मोर्चा संभाला और शुभेंदु अधिकारी को सुरक्षित रूप से वहां से निकालने में मदद की।

बीजेपी ने जताई नाराजगी
इस हमले के बाद भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए आरोप लगाया कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। बीजेपी ने सवाल उठाया कि जब राज्य के नेता प्रतिपक्ष पर इस तरह हमला हो सकता है, तो आम नागरिक कितने सुरक्षित हैं।

शुभेंदु अधिकारी ने भी घटना को लेकर टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह हमला लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या है। उन्होंने दावा किया कि यह हमला पूरी तरह से योजनाबद्ध था और राज्य सरकार की शह पर किया गया।

टीएमसी की सफाई
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज किया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह स्वाभाविक जन प्रतिक्रिया थी, और कोई संगठित हमला नहीं हुआ। उनका कहना है कि शुभेंदु अधिकारी जहां भी जाते हैं, वहां लोगों में असंतोष होता है क्योंकि वे केवल झूठा प्रचार करते हैं।

घटना को लेकर अभी तक किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है। हालांकि, प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है।

Team The Loktantra

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लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां स्वतंत्र विचारों की प्रधानता होगी। द लोकतंत्र के लिए 'पत्रकारिता' शब्द का मतलब बिलकुल अलग है। हम इसे 'प्रोफेशन' के तौर पर नहीं देखते बल्कि हमारे लिए यह समाज के प्रति जिम्मेदारी और जवाबदेही से पूर्ण एक 'आंदोलन' है।

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