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Politics

जाति पर टिका जन सुराज का समीकरण, PK की दूसरी लिस्ट में भी ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का दांव

The equation of Jan Suraj hinges on caste, and PK's second list also involves 'social engineering'.

द लोकतंत्र/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सियासी समीकरणों की बिसात और दिलचस्प होती जा रही है। बदलाव की राजनीति का दावा करने वाले प्रशांत किशोर (PK) ने भी जातीय संतुलन साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनकी पार्टी जन सुराज (Jan Suraaj Party) ने 65 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की है, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और दलित-ओबीसी समुदायों को वरीयता दी गई है। इस सूची ने एक बात साफ कर दी है कि बिहार की राजनीति में जाति आज भी सबसे बड़ा फैक्टर है, और प्रशांत किशोर भी इस इस फैक्टर को नज़र अन्दाज़ नहीं कर पाये।

प्रशांत किशोर का ‘सोशल बैलेंस’ फॉर्मूला

जन सुराज पार्टी की दूसरी सूची में 46 उम्मीदवार सामान्य वर्ग से, 19 अनुसूचित जाति/जनजाति से, और 14 अति पिछड़ा वर्ग से हैं। इसके अलावा चार मुस्लिम उम्मीदवारों को भी टिकट दिया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जन सुराज का लक्ष्य अति पिछड़े वर्गों को 70 टिकट देने का है। यह वही वर्ग है, जो पारंपरिक रूप से एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए निर्णायक रहा है।

PK ने यह भी कहा कि उनकी कोशिश बिहार की सामाजिक संरचना के अनुरूप राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की है यानी हर जाति और तबके को उसकी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

भागलपुर से लड़ेंगे अभयकांत झा

प्रशांत किशोर ने भागलपुर दंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि अभयकांत झा ने उस समय 850 परिवारों को बचाया, उनका पुनर्वास कराया और मुआवजा दिलाया। अब वे जन सुराज के उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। PK ने कहा, बड़े-बड़े नेता राजनीति में सिर्फ भाषण देने आए, लेकिन अभय झा ने सेवा की।”

वहीं, पूर्व मंत्री रामचंद्र सहनी, जो पहले भाजपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं, अब जन सुराज में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा, उम्र के कारण 2020 में टिकट नहीं मिला, लेकिन पार्टी का काम करता रहा। अब प्रशांत किशोर की बातें सही लग रही हैं, इसलिए जन सुराज को सुगौली में मजबूत करूंगा। प्रशांत किशोर ने बताया कि सहनी को मनाने में तीन साल लग गए, लेकिन अब उनका आना जन सुराज की बड़ी उपलब्धि है।

जाति आधारित टिकट वितरण

जन सुराज पार्टी की अब तक जारी दोनों सूचियों में कुल 116 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है। जातीय समीकरण को देखते हुए यह साफ है कि पार्टी पूरी तरह से ‘सोशल इंजीनियरिंग मॉडल’ पर काम कर रही है। जन सुराज में दिये गये टिकट में सामान्य वर्ग के 46, अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग से 19 (जिसमें 1 एसटी उम्मीदवार), अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के 14 उम्मीदवार एवं अल्पसंख्यक (मुस्लिम) वर्ग के 4 उम्मीदवारों को टिकट मिला है। यानी लगभग हर पांच में से एक टिकट अति पिछड़ों को और हर सात में से एक टिकट दलित/अल्पसंख्यक उम्मीदवार को दिया गया है।

बदलाव और नई राजनीति की बात करने वाले प्रशांत किशोर ने भी बिहार की जमीनी सच्चाई को समझते हुए जाति आधारित प्रतिनिधित्व को ही अपनी राजनीतिक रणनीति का केंद्र बना लिया है। जन सुराज पार्टी की यह दूसरी सूची इस बात का सबूत है कि बिहार में जाति ही अब भी राजनीति की धुरी है। चाहे बात एनडीए की हो, महागठबंधन की या फिर ‘बदलाव’ के नाम पर उभर रही किसी नई ताकत की।

Team The Loktantra

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