द लोकतंत्र : Uniform Civil Code उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में मंगलवार 06 फ़रवरी को यूसीसी बिल विधानसभा में पेश किया गया। उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता केपी मौर्य ने कहा, हम इसका स्वागत करते हैं। बीजेपी के तीन मुख्य मुद्दे थे – अयोध्या में रामलला का मंदिर, धारा 370 (जम्मू-कश्मीर) और समान नागरिक संहिता। मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बधाई देता हूं।
Uniform Civil Code पर सपा सांसद एसटी हसन ने कहा – हम केवल कुरान को मानेंगे
वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने यूसीसी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आप कानून कितने भी लाए, लेकिन हम वही मानेंगे जो कुरान शरीफ में है। हमें मालूम है की आप ये कानून क्यों ला रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि वोट की राजनीति के चलते चुनाव के पहले ये कानून लाने की जरूरत क्यों हैं। ये सिर्फ हिंदू मुसलमान को लड़ाने के लिए इसे लाया जा रहा है। हम इसे नहीं मानेंगे, हम केवल कुरान को मानेंगे।
यूसीसी क्यों ज़रूरी, क्या है इस क़ानून के मायने?
मौजूदा वक्त में गोवा अकेला राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है। अगर उत्तराखण्ड विधानसभा से यह विधेयक पारित हो जाता है तो उत्तराखण्ड यूसीसी लागू करने वाला दूसरा राज्य बन जायेगा। देश में भी इस क़ानून को लाने की पैरवी भाजपा नीत केंद्र सरकार कर रही है। हालाँकि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत कानून के समक्ष समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 में धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव करने की मनाही और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और निजता के संरक्षण का अधिकार लोगों को दिया गया है।
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लेकिन, महिलाओं के मामले में इन अधिकारों का लगातार हनन होता रहा है। बात चाहे तीन तलाक की हो, मंदिर में प्रवेश को लेकर हो, शादी-विवाह की हो या महिलाओं की आजादी को लेकर हो, कई मामलों में महिलाओं के साथ लैंगिक आधारों पर भेदभाव किया जाता है। ऐसे में, समान नागरिक संहिता का लागू किया जाना मौजूदा वक़्त की ज़रूरत है।
मुस्लिम समुदाय को क्या है आपत्ति?
इस्लामिक बुद्धिजीवियों का मानना है कि उनकी धार्मिक आजादी धीरे-धीरे उनसे छीनने की कोशिश की जा रही है। मुसलमानों की एक बड़ी आबादी समान नागरिक संहिता को अपनी धार्मिक आजादी पर अतिक्रमण के रूप में देख रही है। यूसीसी लागू होने के बाद बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाएँ ख़त्म हो जायेंगी। मुस्लिम महिलाओं को ग़ैरज़रूरी धार्मिक बंधन से आज़ादी मिलेगी।