द लोकतंत्र/ लखनऊ : अयोध्या राम मंदिर आंदोलन से जुड़े भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता विनय कटियार ने एक बार फिर विवादित बयान देकर सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया है। बुधवार को प्रेस वार्ता में कटियार ने कहा कि मुसलमानों को जल्द से जल्द अयोध्या जिला खाली कर देना चाहिए और इस पवित्र नगरी में किसी भी मस्जिद का निर्माण नहीं होगा। उनके इस बयान ने अयोध्या में पहले से मौजूद धार्मिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
धन्नीपुर मस्जिद योजना पर बयान
कटियार से जब पत्रकारों ने धन्नीपुर मस्जिद योजना पर सवाल किया, तो उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के बदले किसी भी मस्जिद का निर्माण स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने दावा किया कि मुसलमानों का अयोध्या से कोई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध नहीं है और उन्हें सरयू नदी के पार बस जाना चाहिए। इतना ही नहीं, कटियार ने यह भी कहा कि मुसलमानों को अयोध्या से बाहर करने के बाद वह दिवाली पूरे उत्साह से मनाएंगे।
गौरतलब है कि धन्नीपुर मस्जिद का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवंटित जमीन पर होना था, लेकिन हाल ही में प्रशासन ने आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) के अभाव में इस योजना को रोक दिया। इसी मुद्दे पर कटियार ने अपना विवादित बयान दिया है।
समाजवादी पार्टी का पलटवार
विनय कटियार के इस बयान पर समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद और अयोध्या प्रतिनिधि अवधेश प्रसाद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कटियार का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है और उनकी बातें देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब के खिलाफ हैं। अवधेश प्रसाद ने कहा, यह देश किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि सभी धर्मों का है। कटियार को अपने बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए और ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए जो सांप्रदायिक सौहार्द को चोट पहुंचाए। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि ऐसे नेताओं के बयानों पर लगाम लगाई जाए, ताकि अयोध्या का माहौल खराब न हो।
बढ़ सकता है तनाव
राम मंदिर के निर्माण के बाद से अयोध्या लगातार धार्मिक और राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है। बाबरी मस्जिद के बदले दी गई जमीन पर मस्जिद निर्माण पहले ही विवादों में है और अब विनय कटियार का बयान इस विवाद को और भड़का सकता है। स्थानीय स्तर पर लोग इस मसले को लेकर बंटे हुए हैं। एक वर्ग मस्जिद निर्माण का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इसका विरोध कर रहा है।
सियासी हलचल तेज़
कटियार के बयान के बाद प्रदेश की सियासत में भी हलचल मच गई है। जहां समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल इसे ‘धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश’ बता रहे हैं, वहीं भाजपा के भीतर से भी इस पर चुप्पी साधे जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयान आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले माहौल को गरमाने का प्रयास हो सकते हैं।