द लोकतंत्र : अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष यह शुभ तिथि सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को पड़ रही है। इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, सफलता और समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं और माता अहोई की आराधना करती हैं।
इस व्रत को संतान के लिए रक्षा कवच माना जाता है। मान्यता है कि अहोई माता की पूजा और दान करने से संतान की आयु लंबी होती है और जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
अहोई अष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त
इस वर्ष अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ समय शाम 5 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा।
तारों के दर्शन का समय: शाम 6:17 बजे
चंद्र दर्शन का समय: रात 11:20 बजे
मां अहोई की पूजा के बाद माताएं तारों को अर्घ्य देती हैं और चंद्रमा का दर्शन कर व्रत खोलती हैं।
अहोई अष्टमी पर क्या करें दान
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी के दिन किया गया दान संतान के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है। आइए जानें किन वस्तुओं का दान करना शुभ होता है
सफेद वस्तुएं – दूध, चीनी, चावल, सफेद मिठाई आदि का दान शुभ माना गया है।
शिक्षा सामग्री – बच्चों में कलम, कॉपी, किताबें बांटना पुण्यदायक होता है।
अन्न और वस्त्र दान – गरीबों में गेहूं, चावल, दलिया या नए वस्त्र देना शुभ फल देता है।
मौसमी फल और गुड़ का दान – इससे संतान के करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
ब्राह्मण को दक्षिणा – पूजा के पश्चात किसी ब्राह्मण को दक्षिणा देना शुभ माना गया है।
दान का धार्मिक महत्व
अहोई अष्टमी पर किया गया दान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह सहायता, संवेदना और करुणा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन यदि महिलाएं निष्ठा और श्रद्धा से व्रत करती हैं, तो अहोई माता उनके बच्चों की सभी बाधाओं को दूर करती हैं और घर में सुख-शांति बनाए रखती हैं।
अहोई अष्टमी का व्रत मातृत्व और आस्था का प्रतीक है। इस दिन किया गया दान और पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने का माध्यम भी है।