Advertisement Carousel
Spiritual

ब्रह्म मुहूर्त का महत्व: सुबह 4 से 5:30 बजे के बीच उठकर करें गायत्री और ‘ऊं’ मंत्र का जाप; Positive Energy और समृद्धि के लाभ

the loktntra

द लोकतंत्र :  भारतीय सनातन धर्म और ज्योतिष शास्त्र में दिन के प्रत्येक प्रहर का अपना विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन इन सबमें ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurta) को सबसे अधिक पवित्र, ऊर्जावान और सात्त्विक समय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, यह समय प्रातःकाल 4:00 बजे से लेकर 5:30 बजे के बीच का होता है, जब प्रकृति पूरी तरह शांत, निर्मल और दिव्य ऊर्जा से भरी होती है। इस अवधि का हर क्षण आध्यात्मिक साधना, ध्यान, जप और अध्ययन जैसे सकारात्मक कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

ब्रह्म मुहूर्त: ‘अक्षय मुहूर्त’ की उपाधि

ब्रह्म मुहूर्त को ‘अक्षय मुहूर्त’ भी कहा जाता है। ‘अक्षय’ का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो या जो कभी नष्ट न हो। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र समय में किए गए अच्छे कर्मों, जप, तप और दान का फल कभी नष्ट नहीं होता, बल्कि कई गुना बढ़कर साधक को प्राप्त होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति नियमित रूप से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने ईष्टदेव (Ishtadeva) का स्मरण करता है और ध्यान करता है, उसकी बुद्धि तेज होती है, जीवन में सकारात्मकता (Positive Energy) का संचार होता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

जाप के प्रमुख मंत्र और विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर छोड़ने के बाद कुछ विशेष क्रियाएं और मंत्र जाप अत्यंत शुभ फलदायी होते हैं:

1. कर दर्शन (हथेली दर्शन):

सुबह उठते ही सबसे पहले अपनी हथेलियों का दर्शन करना चाहिए। मान्यता है कि हथेली में देवी लक्ष्मी (धन), सरस्वती (ज्ञान) और भगवान विष्णु (कर्म) का निवास होता है। यह दर्शन जीवन के तीनों आधारों धन, ज्ञान और कर्म धन सम्मान देने का प्रतीक है।

2. गायत्री मंत्र:

अपने ईष्टदेव का स्मरण करते हुए गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना गया है:

”ऊं भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”

यह मंत्र न केवल मन को शुद्ध करता है, बल्कि पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। इस मंत्र का जाप करते समय ध्यानावस्था (Meditation State) में बैठकर मन को शांत रखना चाहिए।

3. ‘ऊं’ का उच्चारण:

भक्तजनों को महादेव का स्मरण करते हुए ‘ऊं’ (Om) का उच्चारण करना चाहिए। ‘ऊं’ ध्वनि को सृष्टि का मूल नाद (Primordial Sound) कहा गया है। इसका उच्चारण करने से मन, शरीर और आत्मा तीनों के बीच संतुलन बनता है। ऐसा माना जाता है कि ‘ऊं’ के जाप से जीवन की रुकावटें दूर होती हैं और ईश्वर की कृपा (Divine Grace) प्राप्त होती है।

आर्थिक और आध्यात्मिक लाभ

ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान और जप करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन, वैभव, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। विशेषकर, मां लक्ष्मी की कृपा ऐसे साधकों पर बनी रहती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति (Financial Condition) में निरंतर सुधार होता है। यह समय आत्म-निरीक्षण और आत्म-सुधार के लिए सबसे उपयुक्त होता है, जो अंततः एक संतुलित और सफल जीवन की ओर ले जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त केवल एक समय अवधि नहीं, बल्कि स्वयं को जानने और आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ने का एक स्वर्णिम अवसर है। इस समय को अपने दैनिक जीवन में शामिल करके कोई भी व्यक्ति अपनी बुद्धि, स्वास्थ्य और भाग्य में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। धार्मिक ग्रंथों में सुझाए गए इन सरल मंत्रों और नियमों का पालन करके हम प्रकृति और आध्यात्मिकता के साथ तालमेल बिठा सकते हैं।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

साधना के चार महीने
Spiritual

Chaturmas 2025: चार महीने की साधना, संयम और सात्विक जीवन का शुभ आरंभ

द लोकतंत्र: चातुर्मास 2025 की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है, और यह 1 नवंबर 2025 तक चलेगा। यह चार
SUN SET
Spiritual

संध्याकाल में न करें इन चीजों का लेन-देन, वरना लौट सकती हैं मां लक्ष्मी

द लोकतंत्र : हिंदू धर्म में संध्याकाल यानी शाम का समय देवी लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। यह वक्त