Advertisement Carousel
Spiritual

Chandra Grahan 2025: ब्लड मून के नज़ारे के साथ साल का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण आज

the loktantra


द लोकतंत्र: 7 सितंबर 2025 की रात खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए बेहद खास होने वाली है। रात 9 बजकर 58 मिनट पर इस साल का आखिरी और सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse) लगने जा रहा है। यह ग्रहण अगले दिन यानी 8 सितंबर की सुबह 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान चंद्रमा का रंग गहरा लाल दिखाई देगा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ब्लड मून (Blood Moon 2025) कहा जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह ग्रहण लगभग 1 घंटा 22 मिनट तक दिखाई देगा और दुनियाभर की करीब 85% आबादी इस दुर्लभ खगोलीय दृश्य का गवाह बन सकेगी। इस घटना से पहले सबसे लंबा चंद्र ग्रहण 27 जुलाई 2018 को लगा था, जिसकी अवधि 1 घंटा 43 मिनट रही थी।

ब्लड मून क्यों दिखता है?

जब पृथ्वी पूरी तरह से सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा को ढक लेती है। इस दौरान सूर्य की सीधी किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पातीं। बल्कि पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुज़रने वाली लालिमा युक्त रोशनी ही चंद्रमा पर पड़ती है। इसी कारण चंद्रमा का रंग तांबे जैसा (Coppery Red) या लाल दिखाई देता है। यही दृश्य हमें ब्लड मून के रूप में नज़र आता है।

चंद्र ग्रहण और सुरक्षा

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है। यह सूर्य ग्रहण की तरह हानिकारक नहीं होता। फिर भी, कुछ सावधानियां बरतना लाभदायक माना जाता है:

दूरबीन या टेलिस्कोप से देखने पर दृश्य और स्पष्ट दिखाई देगा।

छोटे बच्चों को ब्लड मून देखने के लिए अकेला न छोड़ें।

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखना टालना चाहिए।
पारंपरिक मान्यताओं के मुताबिक, ग्रहण काल में भोजन और जल का त्याग करना और ग्रहण के बाद स्नान करना शुभ माना जाता है।

धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएँ

हिंदू मान्यता के अनुसार, ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि इस दौरान पूजा-पाठ, भोजन और नए कार्यों की शुरुआत वर्जित है। वहीं, ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान-ध्यान और दान करने से ग्रहण दोष से मुक्ति मिलती है।

वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि

जहां वैज्ञानिक इसे केवल एक प्राकृतिक घटना मानते हैं, वहीं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह समय सावधानी बरतने का होता है। दोनों दृष्टिकोणों से देखें तो यह रात दुनिया के लिए एक दुर्लभ अवसर लेकर आई है, जब चांद लालिमा ओढ़ेगा और रात का आकाश अद्भुत नजारा पेश करेगा।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

साधना के चार महीने
Spiritual

Chaturmas 2025: चार महीने की साधना, संयम और सात्विक जीवन का शुभ आरंभ

द लोकतंत्र: चातुर्मास 2025 की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है, और यह 1 नवंबर 2025 तक चलेगा। यह चार
SUN SET
Spiritual

संध्याकाल में न करें इन चीजों का लेन-देन, वरना लौट सकती हैं मां लक्ष्मी

द लोकतंत्र : हिंदू धर्म में संध्याकाल यानी शाम का समय देवी लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। यह वक्त