द लोकतंत्र : आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ अब अपने समापन की ओर है। चार दिनों तक चलने वाले इस महाव्रत में तीसरे दिन यानी सोमवार, 27 अक्टूबर को व्रतियों ने डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया। अब छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 है, जब उगते सूर्य को उषा अर्घ्य (Usha Arghya) अर्पित किया जाएगा।
रविवार, 26 अक्टूबर को छठ के दूसरे दिन खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया था, जिसका समापन इसी उषा अर्घ्य के बाद होता है।
उषा अर्घ्य का शुभ मुहूर्त 2025
धार्मिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा के चौथे दिन सूर्य को अर्घ्य देने के लिए शुभ समय सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाता है।
तिथि: 28 अक्टूबर, मंगलवार
सूर्योदय का समय (सामान्य): सुबह लगभग 6:30 बजे
उषा अर्घ्य का शुभ मुहूर्त: सूर्योदय होते ही अर्घ्य देना सबसे शुभ माना जाता है। यह समय सुबह 6:30 बजे के आसपास रहेगा।
(नोट: चूँकि सूर्योदय का समय हर शहर में थोड़ा अलग होता है, भक्तों को अपने शहर के स्थानीय पंचांग या सटीक सूर्योदय समय के अनुसार ही अर्घ्य देना चाहिए। उदाहरण के लिए, दिल्ली में सूर्योदय 6:30 AM, पटना में 5:55 AM और मुंबई में 6:37 AM के आसपास रहेगा।)
36 घंटे के महाव्रत का पारण
मंगलवार, 28 अक्टूबर की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही छठ महापर्व की पूजा-अर्चना संपन्न हो जाएगी। इस दौरान छठ घाटों पर आस्था का जन सैलाब उमड़ेगा।
व्रती नदी, तालाब या जलाशयों में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते समय अपनी संतान की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में खुशहाली की कामना करते हैं। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण (व्रत खोलना) व्रती द्वारा किया जाएगा।
घाट पर ऐसे दें उषा अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे और आखिरी दिन सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भक्त सुबह 3 या 4 बजे ही घाटों पर पहुंच जाते हैं।
सामग्री: सभी व्रती अपने साथ फल, गन्ना, नारियल और ठेकुआ जैसी पारंपरिक सामग्रियों से भरी बांस की टोकरी (सूप) लेकर आते हैं।
अर्घ्य विधि: जैसे ही सूरज की पहली किरणें नजर आती हैं, भक्त नदी, तालाब या जलाशयों में घुटनों तक खड़े होकर दूध और जल मिश्रित जल से सूर्य देव को उषा अर्घ्य अर्पित करते हैं।
प्रार्थना: इस शुभ मुहूर्त में भक्त हाथ जोड़कर पारंपरिक गीत गाते हैं और सूर्य देव से परिवार के कल्याण और संतान की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
व्रत का पारण (Fast Breaking)
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठी मैया और सूर्य देव का पूजन किया जाता है। इसके बाद, व्रती अपने घर जाकर छठ का प्रसाद (ठेकुआ, फल और अन्य पकवान) और जल ग्रहण करके अपने 36 घंटे के कठिन व्रत का पारण (Parana) करते हैं। इसी के साथ लोक आस्था का यह महापर्व संपन्न हो जाता है।

