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Diwali Gemstone Tips: दिवाली पर गलती से भी न पहनें नीलम, गोमेद और लहसुनिया रत्न! जानें क्यों अशुभ है इन 3 रत्नों को धारण करना

the loktantra

द लोकतंत्र : दिवाली का त्योहार धन, समृद्धि और मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग नई चीजों की खरीदारी करते हैं, घरों को सजाते हैं और शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए विशेष रत्न भी धारण करते हैं। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र और रत्न शास्त्र के अनुसार, हर रत्न को दिवाली जैसे शुभ अवसर पर धारण करना शुभ नहीं माना जाता है। कुछ रत्न ऐसे भी होते हैं, जिन्हें दिवाली के दिन धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इन रत्नों को पहनने से अचानक धन हानि, मानसिक तनाव और रिश्तों में खटास जैसी अशुभ स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। चूंकि दिवाली का दिन सकारात्मकता और धन आगमन के लिए समर्पित होता है, इसलिए अशुभ प्रभाव वाले रत्नों से पूरी तरह से बचना चाहिए।

आइए जानते हैं कि दिवाली के दिन कौन-सा रत्न धारण करना अशुभ माना जाता है और इसके पीछे क्या ज्योतिषीय कारण हैं:

दिवाली पर इन 3 रत्नों को पहनना है अशुभ:

दिवाली के दिन नीलम (Blue Sapphire), गोमेद (Hessonite) और लहसुनिया (Cat Eye) जैसे रत्नों को पहनना अशुभ माना जाता है।

1. गोमेद रत्न का अशुभ प्रभाव (राहु का रत्न):

  • ज्योतिषीय कारण: गोमेद को राहु का रत्न भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को भ्रम, मानसिक असंतुलन, आलस्य और अस्थिरता का प्रतीक माना जाता है।
  • दिवाली पर निषेध: दिवाली के दिन हम मां लक्ष्मी की पूजा कर स्थायी समृद्धि का आवाहन करते हैं। ऐसे में राहु का रत्न पहनने से इसका प्रभाव उल्टा पड़ सकता है।
  • परिणाम: इस दिन गोमेद रत्न पहनने से भ्रम, आलस्य और विवाद की स्थिति बढ़ सकती है, जो लक्ष्मी के आगमन में बाधा डालता है।

2. लहसुनिया रत्न का अशुभ प्रभाव (केतु का रत्न):

  • ज्योतिषीय कारण: लहसुनिया रत्न को केतु का रत्न कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु को वैराग्य, तपस्या और भौतिक सुखों से दूरी का प्रतीक माना जाता है।
  • दिवाली पर निषेध: दिवाली का पर्व आध्यात्मिकता के साथ-साथ भौतिक समृद्धि (धन और वैभव) का भी पर्व कहा जाता है। चूंकि लहसुनिया वैराग्य की ओर प्रेरित करता है, इसलिए यह समृद्धि के उद्देश्य को प्रभावित करता है।
  • परिणाम: जिन लोगों का बिजनेस है या जो पैसों से संबंधित कार्य करते हैं, उन्हें दिवाली के दिन भूलकर भी लहसुनिया रत्न धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह व्यावसायिक अस्थिरता ला सकता है।

3. नीलम रत्न का अशुभ प्रभाव (शनि और शुक्र की ऊर्जा):

  • ज्योतिषीय कारण: दिवाली के दिन शुक्र और गुरु ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय होती है, जो सौभाग्य और वैभव लाती है। रत्न शास्त्र में नीलम (जो शनि का रत्न है) भारी और धीमी तरंगों से भरा होता है।
  • दिवाली पर निषेध: दिवाली के दिन नीलम रत्न धारण करने से शुक्र और गुरु की शुभ ऊर्जा प्रभावित होती है और धीमी पड़ जाती है।
  • परिणाम: इससे पहनने वाले को तनाव, आर्थिक संकट और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

दिवाली के दिन कौन-सा रत्न धारण करना है शुभ?

यदि आप दिवाली के दिन कोई रत्न धारण करना ही चाहते हैं, तो आप उन रत्नों को चुनें जो सकारात्मकता, धन और सौभाग्य से जुड़े हैं।

  • पुखराज (Yellow Sapphire): यह गुरु ग्रह का रत्न है और धन, ज्ञान और सौभाग्य को आकर्षित करता है।
  • हीरा या ओपल (Diamond/Opal): ये शुक्र ग्रह के रत्न हैं और भौतिक सुख, समृद्धि और वैभव को बढ़ाते हैं।
  • माणिक (Ruby): यह सूर्य का रत्न है और आत्मबल, आत्मविश्वास और सम्मान बढ़ाने का काम करता है।

ये तीनों ही रत्न धन, सौभाग्य और आत्मबल को बढ़ाने का काम करते हैं और दिवाली की शुभ ऊर्जा के साथ मेल खाते हैं।

Uma Pathak

Uma Pathak

About Author

उमा पाठक ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मास कम्युनिकेशन में स्नातक और बीएचयू से हिन्दी पत्रकारिता में परास्नातक किया है। पाँच वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली उमा ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएँ दी हैं। उमा पत्रकारिता में गहराई और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं।

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