द लोकतंत्र: हिंदू पंचांग में प्रत्येक एकादशी का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव का संचार होता है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में इंदिरा एकादशी व्रत 17 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा। व्रत का पारण 18 सितंबर, गुरुवार को प्रातःकाल किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है और पितरों के लिए तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व बताया गया है।
धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु के पूजन के साथ तुलसी के पौधे का पूजन भी आवश्यक है। तुलसी को लक्ष्मी जी का प्रिय माना जाता है, और इस दिन उनसे जुड़े कुछ खास उपाय करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और धन-धान्य का वास होता है।
शाम के समय तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर के वातावरण में शांति आती है और देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी के जल में थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करने से जीवनभर आर्थिक सुख की प्राप्ति होती है। यह उपाय पितरों की आत्मा को भी तृप्त करता है।
तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी चढ़ाने की परंपरा भी प्रचलित है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को आर्थिक तंगी से राहत मिलती है और परिवार में खुशहाली बढ़ती है।
इंदिरा एकादशी व्रत विधि में प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना, विष्णु सहस्रनाम का पाठ, तुलसी के पास दीपक प्रज्वलित करना और दिनभर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करना शामिल है। व्रतधारी को इस दिन सात्त्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
इंदिरा एकादशी को लेकर पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि जो श्रद्धा और विश्वास से इस दिन उपवास रखता है और पितरों के नाम से दान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन का व्रत करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद साधक के जीवन को हर प्रकार की विपत्तियों से मुक्त करता है।