द लोकतंत्र: Kajri Teej 2025 का पर्व विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह त्योहार हरियाली तीज के बाद आता है और इसे पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में प्रेम बनाए रखने के लिए मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और अटूट बंधन बना रहता है।
कजरी तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आती है। इसे उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कजली तीज, सातूड़ी तीज और बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन रात में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने की परंपरा है, जिससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
कजरी तीज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:33 बजे से 12 अगस्त को सुबह 8:40 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत 12 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा।
इस वर्ष कजरी तीज पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो 12 अगस्त को सुबह 11:52 बजे शुरू होकर 13 अगस्त को सुबह 5:49 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
पूजन सामग्री
कजरी तीज व्रत में प्रयुक्त सामग्री में श्रीफल, चंदन, गंगाजल, बेलपत्र, दूर्वा, शमी के पत्ते, सुपारी, कलश, भांग, मिश्री, धतूरा, अक्षत, घी, कपूर और पंचामृत शामिल हैं। श्रृंगार सामग्री में हरी साड़ी, चुनरी, बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, कंघी, बिछुआ और सोलह श्रृंगार की अन्य वस्तुएं होती हैं।
पूजन विधि
इस दिन सुबह स्नान के बाद घर और मंदिर की सफाई करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान शिव को बेलपत्र, दूध, दही, भांग, धतूरा और गंगाजल अर्पित करें। माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। कजरी तीज व्रत कथा का पाठ करें और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।
धार्मिक महत्व
मान्यता है कि इस दिन किए गए व्रत और पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि, वैवाहिक सौभाग्य और परिवार में खुशहाली बनी रहती है। यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।